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वर्कलॉड से बड़ा प्रेशर: 26 साल की CA ने दी अपनी जान, काम का प्रेशर नही उठा पा रहें है तो सीखे टाइम मैनेजमेंट के ट्रिप्स।

वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट में ये बात सामने आई कि ज्यादा वर्कलॉड होने से व्यक्ति आपके मानसिक स्वास्थ्य को खतरे में डाल सकता है क्योंकि ऐसा होना बेहद खतरनाक है, WHO ने दी रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2019 में पूरी दुनिया में 15% वर्किंग एडल्ट्स में मानसिक तनाव पाया गया था और इस रिपोर्ट में विश्व में तनाव, एंग्जाइटी और डिप्रेशन की वजह से एक साल में 12 अरब वर्किंग डेज का नुकसान होता है ये वजह है कि हर साल अर्थव्यवस्था को 1 खरब डॉलर का नुकसान होता है। दुनिया के सबसे बड़े डेटा प्लेटफॉर्म स्टेटिस्टा की रिपोर्ट है कि 2022 में पूरी दुनिया में काम के बोझ से परेशान होकर 11,486 एम्प्लॉइज ने आत्महत्या कर ली थी।

पुणे में काम करने वाली 26 साल की एक चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) जिसकी हाल ही में कथित तौर पर बहुत ज्यादा वर्कलोड होने के कारण मौत हो गई। मृतक की मां ने सीधे तौर पर आरोप कंपनी पर लगाया है कि कंपनी जॉइन करने के कुछ ही महीनों के भीतर उनकी बेटी की भूख-नींद सब खत्म होने लगी थी, जिसका ये अंजाम यह हुआ कि उनकी मौत हो गई।

आज के समय में ये काफी ज्यादा देखा जा रहा है कि ऐसे काफी सारे लोग है जोकि प्राइवेट या कॉर्पोरेट सेक्टर में जाते है और कॉम्पिटिशन और वर्कलोड के कारण तनाव में आ जाते है इसके बाद ये काफी देखा गया कि लोग जल्दी ही मानसिक समस्याओं से जूझने लगते है क्योंकि कॉर्पोरेट सेक्टर में काम करने वालों के लिए वर्क प्रेशर का होना कोई नई बात नहीं है।

वर्कलॉड से काम पर पड़ने वाला असर।

ज्यादा वर्कलॉड होने से पूरे दिन थकान और कमजोरी लगती है किसी काम में मन न लगता है।

नींद में कमी और मांसपेशियों में दर्द होने गलता है।

काम के प्रेशर से मानसिक तनाव बढ़ता है।

ज्यादा देर एक ही जगह बैठकर काम करने से वजन बढ़ना और इम्यूनिटी कमजोर होना देखा गया है।

एकाग्रता में कमी, निर्णय लेने की क्षमता कम होती जाती है।

गुस्सा और चिड़चिड़ापन बढ़ता जाता है।

वर्कलोड के चलते दोस्तों और परिवार के लिए समय नहीं निकल पाता है

अकेलापन, सामाजिक अलगाव महसूस होने लगता है।

अपने वर्कलोड को करें कम।

वर्कलॉड को कम करने के लिए सबसे पहले अपने काम को वक्त पर खत्म करने के लिए टाइम मैनेजमेंट सीखें।

हर दिन के कामों का एक टाइम-टेबल बनाएं।

काम के बीच-बीच में छोटे ब्रेक लें।

शरीर में फुर्ती बनाए रखने के लिए अच्छी डाइट और नींद लें।

सुबह जल्दी उठें, वक्त पर ऑफिस जाएं और आएं।

अपने लिए रियलिस्टिक गोल सेट करें यानी छोटे-छोटे लक्ष्य बनाएं।

काम में मदद की जरूरत हो तो मदद मांगने में हिचकिचाएं नहीं और अच्छी मेंटल हेल्थ के लिए एक्सरसाइज को डेली रूटीन में शामिल करें। इस सब के बावजूद भी अगर काम का तनाव बहुत बढ़ जाए तो काउंसलर की

मदद भी ले सकते हैं।

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