सायरा बानो की कहानी उनकी जबानी: जब काम के भर से सायरा ने छोड़ दी थी फिल्म इंडस्ट्री, दिलीप कुमार के साथ शादी के बंधन में बनकर उनके साथ वक्त बिताना चाहती थी सायरा।
1961 में सबसे पहले फिल्म "जंगली" हिंदी फ़िल्मों में डेब्यू करने वाली सायरा बानो फिल्म इंडस्ट्री में काफी छा गई थी और बहुत लंबे समय तक फिल्म इंडस्ट्री में बनी रही। सबसे पहले, जब वह जंगली फिल्म में शम्मी कपूर के साथ आई थी तो उनकी इस फिल्म को फिल्मफेयर नॉमिनेशन का अवार्ड भी मिला था।
दिलीप कुमार से छोटी थी सायरा।
सायरा ने बताया कि जब 1952 में दिलीप कुमार की "आन" फिल्म आई थी तब से सायरा दिलीप से मुहब्बत करने लगी थी जबकि सायरा की उम्र उस वक्त 8 वर्ष ही थी। इसके बाद जब सायरा फिल्मों में आना शुरू हुई तो वो दिलीप कुमार के साथ फिल्मों में काम करना चाहती थी पर दिलीप साहब ने उनके साथ काम करने को मना कर दिया था उनका कहना था कि सायरा बहुत छोटी है। सायरा ने ये बात खुद मीडिया को बताई कि दिलीप साहब के साथ उनको "राम श्याम" फिल्म ऑफर करी गई थी तब भी दिलीप साहब ने मेरे साथ काम करने को इसलिए माना कर दिया की मैं बहुत छोटी हूं। लेकिन 1966 में दिलीप कुमार के घर के सामने मेरे मां ने घर बनवाया।
कही फिल्मों में प्रमुख भूमिका निभाई।
सायरा ने खुद बताया कि उन्होंने राजेश खन्ना के साथ छोटी बहू' फिल्म साइन करी लेकिन तबीयत खराब होने की वजह से इस फिल्म को उने छोड़ना पड़ पर उस फिल्म की दो दिन की शूटिंग के बाद सायरा ने राजेश खन्ना को एक बेहतरीन इंसान माना।
फिल्म पूरब और पश्चिम'।
सायरा ने फिल्म 'पूरब और पश्चिम' में मनोज कुमार के साथ भी काम किया जबकि सायरा ने अपने इंटरव्यू में इस बात को माना कि उस वक्त फिल्मों में काम करना मुश्किल भरा सफर हुआ तो वो खुद ही इस फिल्म को नहीं करना चाहती थी। तब उन्होंने दिलीप साहब से इजाजत मांगी थी कि दिलीप साहब "प्लीज मुझे 'पूरब और पश्चिम' में काम करने दें।" क्योंकि मनोज कुमार सायरा को बोला था कि अगर वो फिल्म में काम नहीं करेंगी तो फिल्म ही नहीं बनाएंगे।
क्यों छोड़ी फिल्म इंडस्ट्री।
शादी के बाद भी सायरा को काफी फिल्मों के ऑफर मिले और उन्हूने काफी फिल्मे करें भी जब भी दिलीप साहब से इजाजत ली दिलीप कुमार ने उनको रोका नही हो और सायरा ने फिल्म की लेकिन एक समय ऐसा भी आया कि सायरा की जिंदगी फिल्मों में इतना व्यस्त हो गई कि वो दिलीप साहब के साथ बैठकर एक कप चाय पीने का वक्त भी नहीं निकाल पा रही थी। सुबह उठते ही शूटिंग पर जाना और पूरा दिन व्यस्त रहना सायरा ने बताया कि ये काम उनके लिए ज्यादा हो रहा था इसलिए फिल्मों में काम न करने का फैसला किया। सायरा की आखिरी फिल्म 1988 में रिलीज हुई 'फैसला' थी इसके बाद उन्होंने फिल्मों से रिटायरमेंट ले लिया था।
सायरा बानो फैशन क्वीन।
अगर बात करें फैशन की तो सायरा बानो अपने जमाने में फैशन ट्रेंडसेटर रही थीं ऐसा इसलिए भी कि उन्हें साड़ियों और ज्वेलरी का बेहद शौक था। उनकी साड़ी और ज्वेलरी मां नसीम बानो डिजाइन किया करती थी और वो खुद ही 30 और 40 के दशक में खुद फिल्म इंडस्ट्री में बड़ा नाम थीं।
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