वायनाड की रिपोर्ट्स: 70% टूरिस्ट में हुआ इजाफा 5 सालो में होटल्स हुए थे दुगने, क्या झेल रहा है वायनाड इसका भारी नुकसान।
केरल के वायनाड इलाके में ऐसी तबाही आयी वायनाड के नजदीक मुंडक्कई एक गांव है जिसमें एक मोहन दास नाम का एक आदमी रहता था जिसने बतलाया की किस तरह बीते 30 जुलाई को तेज बारिश होने से पूरा गांव बर्बाद हो गया और इतनी तेज से बदल फटने की आवाज आई कि ऐसा महसूस हुआ की भूकांम आ गया है। जब मोहन नाम के इस वक्ति ने दरवाजे के पास आकर देखा तो दरवाजे के सामने से नदी बह रही थी और पूरा गांव बर्बाद हो चुका था। ये बारिश का पानी इतना तेज था कि
मुंडक्कई के साथ ये चूरलमाला और मलप्पुरम जिले नूलपुझ सब बहकर ले गया इसमें 361 लोगो की मौत हुईं जबकि लगभग 206 लोग लापता हो गए है और घर तबह हो जाने से 9 हजार से ज्यादा लोग रिलीफ कैंप में रह रहे है।
एक्सपर्ट दे रहें चेतावनी।
वायनाड जिले के मुंडक्कई, चूरलमाला और मलप्पुरम जिले को देखा जाएं तो लैंडस्लाइड का सबसे ज्यादा असर नीलांबुर फॉरेस्ट एरिया में हुआ है क्योंकि मुंडक्कई और नीलांबुर की दूरी करीब 90 किमी है यहां 30 से ज्यादा डेडबॉडी मिली हैं।
इससे 13 साल पहले आई माधव गाडगिल रिपोर्ट में ये सभी इलाके ईको सेंसिटिव जोन घोषित किए गए थे। ये वायनाड पहाड़ी जिला है जो वेस्टर्न घाट में तहत आता हुआ है जो केरल की माउंटेन रेंज है।
यहां हुई थे लैंडस्लाइड।
जानकारी है कि मनंतावाडी, माइनिंग, होटल, सुल्थान बाथेरी, कालपेटा लैंडस्लाइड हुई थी।
ज्यादा तादत में टूरिस्ट।
पिछले कुछ सालो में वायनाड में सबसे ज्यादा होटल स्थापित किए गए है इसकी एक मुख्य वजह टूरिस्ट डेस्टिनेशन का होना है
वायनाड के कालपेटा और सुल्थान बाथेरी में सबसे ज्यादा होटल स्थापित हुए है।
सबसे ज्यादा माइनिंग मनंतावाडी और सुल्थान बाथेरी के इलाकों में होती है और मनंतावाडी कालीकट के नजदीक होने से ये कॉमर्शियल एक्टिविटी के लिए भी जाना जाता है।
अगस्त, 2011 में माधव गाडगिल की अध्यक्षता वाले पैनल ने केंद्र को रिपोर्ट सौंपी इससे जानकारी थी कि जिसमें चिंता जताई गई थी कि पैनल ने मेप्पाडी में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली एक्टिविटी को जताया जबकि केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु की सरकारें इस रिपोर्ट के विरोध में हैं। केंद्र सरकार ने मार्च, 2014 से अब तक नोटिफिकेशन के 5 मसौदे जारी किए थे पर फाइनल नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया था। इसकी एक वजह ये थी कि कर्नाटक की दलील थी कि नोटिफिकेशन लागू होने से लोगों की आमदनी पर असर पड़ेगा।
माधव गाडगिल की ओर से 2019 में भी चेतावनी दी थी कि वेस्टर्न घाट को बुरी तरह नुकसान पहुंच चुका है और अगर कोई कार्रवाई नहीं की गई, तो केरल को 4 से 5 साल में बड़ी आपदा झेलनी पड़ सकती है पर 30 रात जुलाई को ये माधव गाडगिल की ओर से दे गई चेतावनी सही साबित हो गई।
केरल की कहानी।
29-30 जुलाई की रात करीब 2 और 4:10 बजे वायनाड के मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा गांवों में नदी का पानी घुस गया। घर, पुल, सड़कें और गाड़ियां सब बह गए।
ऐसा हुआ हादसा।
वायनाड मिट्टी, पत्थर और ऊंचे-नीचे टीलों वाला एरिया है यहां बहने वाली मनंतावाडी नदी 'थोंडारमुडी' चोटी से निकलती है, इसी में बाढ़ आने से लैंडस्लाइड हुई।
हादसे से प्रभावित लोग।
शनिवार तक 361 मौतें हुईं
206 से ज्यादा लोग लापता हैं
1600 से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू किया गए है।
8107 लोग रिलीफ कैंप में भेजे गए।
रेस्क्यू कैंप में जुटी एजेंसियां आर्मी, एयरफोर्स, NDRF, SDRF, पुलिस जुड़ी हुई है।
क्या दशा होगी आगे की।
मौसम विभाग ने वायनाड के अलावा मलप्पुरम, कोझिकोड, कन्नूर और कासरगोड जिले में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया हुआ है।
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