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नौकरियों में 100% रिजर्वेशन पर विवाद: कर्नाटक सरकार ने रिजर्वेशन को लेकर फैसला दिया, कंपनिया का बयान बिल से होगा नुकसान।

16 जुलाई को कर्नाटक सरकार ने प्राइवेट सेक्टर की C और D कैटेगरी की नौकरियों में स्थानीय लोगों को 100% आरक्षण देने 

की घोषणा करी गई थी इसके बाद मुख्यमंत्री ऑफिस की रिपोर्ट्स तो अब इसके ऊपर अस्थाई रोक लगा दी गई है।

पोस्ट को हटाया गया।

इस रिजर्वेशन की घोषणा होने के बाद 24 घंटे के अंडर 17 जुलाई को इस सूचना को मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर 100% कोटा बिल को लेकर की गई पोस्ट हटा ली।

कर्नाटक के विधेयक की 5 बड़ी बातें।

कर्नाटक के विधेयक के इसके फेवर में कहा कि ये बिल पास होने के बाद कर्नाटक के उद्योगों, कारखानों और अन्य प्रतिष्ठानों में स्थानीय लोगों को आरक्षण देना अनिवार्य हो जायेगा।

मैनेजर जैसे पदों पर 50% और गैर-मैनेजमेंट वाली नौकरियों में 75% पद कन्नड़ के लिए रिजर्व होंगे।

ग्रुप सी और ग्रुप डी की नौकरियों में 100% लोकल लोगों यानी कन्नड़ भाषियों को ही नौकरी मिलेंगी।

राज्य की संस्थाओं में नौकरी करने वाले को कन्नड़ प्रोफिसिएंसी टेस्ट पास करना अनिवार्य होगा।

कंपनियों ने कानून के प्रावधानों का उल्लंघन किया तो उन्हें 10 हजार से 25 हजार रुपये का जुर्माना देना पड़ सकता है।

कर्नाटक में गैर कन्नड़ आबादी का काम।

बेंगलुरु की कंपनियों में गैर कन्नड़ कर्मचारियों की तादाद 35% आंकी गई जबकि कर्नाटक में कुल 20% गैर कन्नड़ आबादी काम करती है इस आबादी में अधिकतर उत्तर भारत, आंध्र और महाराष्ट्र से है। बेंगलुरु में इतनी तादत को लेकर कुछ दिनों पहले 

लंबी बहस हो चुकी है इसको लेकर हिंदी में नाम लिखे गए साइन बोर्ड तोड़े गए थे।

अब तक 6 राज्यों ने 75% आरक्षण देने का ऐलान करा।

इस 100 % आरक्षण बात से पहले भी कर्नाटक सरकार निजी नौकरियों में आरक्षण की बात कर चुकी है। इसके अलावा हरियाणा, झारखंड, MP, आंध्र और महाराष्ट्र भी ऐसी ही स्कीम की घोषणा कर चुके है मगर अभी तक किसी भी राज्य में इसे पूरी तरह लागू नहीं किया जा सका है।

इस तरह के ऐलान कहीं बार कोर्ट में अटक गए हैं और कहीं बार इनपर काम शुरू ही नही किया गया। झारखंड सरकार ने इसको लेकर कहा कि जनवरी 2023 से निजी कंपनियों में 40 हजार तक की मासिक सैलरी वाले 75% पदों पर स्थानीय लोगों को नौकरी देना अनिवार्य होगा और ये बात 10 से ज्यादा कर्मियों वाली सब कंपनियों पर ये लागू किया जायेगा जबकि इसका उल्लंघन करने पर 5 लाख जुर्माना लगाया जायेगा।

संविधान में बराबरी का हक।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में सविधान के आर्टिकल 15 में बताया था कि 'रहने की जगह के आधार पर दिया गया आरक्षण आर्टिकल 15 का उल्लंघन नहीं होगा। क्योंकि 'जन्मस्थान' और 'रहने की जगह' में अंतर है। क्योंकि आर्टिकल 15 (1) और 15 (2) में जन्मस्थान के आधार पर कोई भेदभाव करने की मनाही है, रहने की जगह को लेकर नहीं।' 

हरियाणा सरकार ने जब निजी नौकरियों में 75% स्थानीय लोगों को आरक्षण की घोषणा की थी, पर इसपर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने स्टे लगाया था, इसका केस अब भी लंबित है।

लॉ जानकारी का कहना है इसको लेकर की कोर्ट को आरक्षण को लेकर कोई तर्कसंगत दायरा तय करना चाहिए ताकि स्थानीय और बाहरी, दोनों के अधिकारों के बीच संतुलन बना रहे।

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