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ऑफिस के काम के घंटो में हुई बढ़ोतरी: क्या अब 14 घंटे काम एम्प्लॉय को काम करना होगा, कितना ओवरवर्क कर सकते है वर्कर्स, क्या है मामला।

भारत में एक औसत एम्पलाई ऑफिस के अंदर एक हफ्ते 48 घंटे काम करता है अब कर्नाटक सरकार इस काम के घंटो में 22 घंटे और जुड़ना चाहती है जोकि 70 घंटे का बड़कर हो जायेंगे इस प्रपोजल से क्या फायदा हो सकता है क्या प्रोडक्टिविटी में बड़ोतरी होगी या वर्किंग कंडीशन को लेकर ग्लोबल लेवल पर भारत को बेहतर स्टैंड मिलेगा।

सिलिकॉन वैली के नाम से मशहूर है कर्नाटक की राजधानी बैंगलोर आईटी सेक्टर में काम करने वालो की संख्या 30 लाख के आसपास की है इसके साथ इंफोसिस, गूगल, डेलॉइट, कर्नाटक सरकार आईटी और आईटी ईएस इन फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एनफील्ड सर्विस के लिए 14 घंटे वर्किंग को कहा गया है। अब अगर इस प्रपोजल को मंजूरी मिल जाती है तो कर्नाटक में रह रहे लोगो को 24 घंटे में 14 घंटे काम करना पड़ेगा यानी के हफ्ते के 70 घंटे काम करना पड़ेगा। ये इनह्यूमन वर्किंग कंडीशन तो है ही साथ में इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन के अगेन भी है क्योंकि ये ऑर्गेनाइजेशन दिन में 9 घंटे ही काम करने को रिकमेंट करता है।

भारत में काम के घंटे।

भारत में लोग हफ्ते में करीब 46-48 घंटे काम करते हैं और इस हिसाब से भारत सबसे ज्यादा घंटे काम करने वाले देशों की लिस्ट में तीसरे नंबर पर है। इसके बाद भी अगर कर्नाटक सरकार काम के घंटो में वृद्धि करती है तो ये एक शारीरिक पीड़ा के साथ मानसिक स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाने जैसा है शायद इस लिए भी इसको लेकर कर्नाटक राज्य में इसका विरोध शुरू हो गया है।

क्या कर्नाटक सरकार ऐसा कर सकती है?

हाँ, भारत के अंदर कोई भी राज्य अपने काम के घंटो को लेकर नियम बना सकती है क्योंकि हर राज्य अपने स्टेट लेवल पर अपने राज्य के लिए नियम बनाने के लिए योग्य है तब ही कर्नाटक सरकार, कर्नाटक दुकानें और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम, 1961 के अंडर प्रपोजल करता है कि यह काम के घंटो में वृद्धि हो। मगर कर्नाटक सरकार के इस प्रपोजल को लेकर कई लोगों ने इसकी आलोचनाए करी और कई लोगों ने यह भी कहा कि यह कर्नाटक सरकार की ओर से वर्कर पर वर्किंग अट्रैक है।

KCCI केनरा चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की रिपोर्ट के मुताबिक, कर्नाटक में पहले से ही 45% एम्प्लॉइज मेंटल हेल्थ इशूज डिप्रेशन और 55% एम्प्लॉइज फिजिकल हेल्थ इशूज से जूझ रहें है। ऐसे में कर्नाटक सरकार का काम को लेकर ये प्रपोजल मानव प्रताड़ना जैसा है!

 

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