रिलेशनशिप में सीखे ये जरूरी बाते: रिश्तों और बैंक अकाउंट अन्य परेशानियां किसे बतायें किसको नही।
रामायण का एक सुंदरकांड प्रसंग जो काफी फेमस है इस प्रसंग में अशोक वाटिका है इसमें माता सीता से मिले और इसके बाद हनुमान उन्हें प्रभु श्रीराम की व्यथा में आएं और देखा कि सीता हरण के बाद राम अथाह पीड़ा से गुजर रहें है इसके बाद भी उन्हें ये समझ नहीं आता कि अपनी व्यथा किससे कहें।
तुलसीदास जी ने राम की वेदना को चौपाई का रूप देते हुए लिखा-
"कहेहू तें कछु दुःख घटि होई।
काहि कहौं यह जान न कोई॥"
इसकी व्याख्या इस प्रकार है कि बांटने से दुख कुछ कम तो होता है, लेकिन अपना दुख किससे बांटें, यह कोई नहीं जानता।
दूसरी ओर रहीम ने कहा कि-
"रहिमन निज मन की व्यथा, मन में राखो गोय। सुनि इठलैहैं लोग सब, बाटि न लैहै कोय॥"
कहने का तत्पर है कि अपने मन की व्यथा मन में ही रखनी चाहिए। लोग सुनकर हंसी ही उड़ाएंगे, मदद करने कोई नहीं आएगा।
तुलसी इस बात को बताना चाहते है कि अपने मन की बातें किसी से कहकर मन को शांति प्रदान करे, इसके विपरीत रहीम का कहना है कि दुख किसी से कहना ही नहीं चाहिए।
राजदार के राज खोलने पर टूटते है रिश्ते।
मशहूर साहित्यकार खलील जिब्रान ने कहा कि ' यदि कभी ऐसा होता है कि आप अपने राज किसी को बताते है या अपने मन की बात किसी से कह देते है निश्चित तौर पर इसको सबके सामने आना ही होगा क्योंकि खलील ने लिखा है कि अगर हवाओं से अपने मन के राज खोले जाएं तो वह राज पेड़ों तक भी पहुंचेगा। इसके लिए हवाओं को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है क्योंकि उसने वही किया, जो आपने किया यानी राज खोले।'
अपने राज को बताने का नुकसान।
हर इंसान के अपने कुछ पर्सनल राज होते है और जब इसकी पर्सनल बाते लोगो तक जाति है जिनका पहुंचना न तो जरूरी था और न ही उनके लिए फायदेमंद परंतु जब कभी ऐसा होता है तो इसको खोलने वाले शख्स की छवि भरोसा तोड़ने वाले पार्टनर, दोस्त या कुलीग के बतौर बन जाती है ऐसे समय पर उनके आपसी रिश्ते या दोस्ती भी खराब जाति है।
इंट्रापर्सनल, सेल्फ कम्युनिकेशन की है जरूरत।
'मास कम्युनिकेशन इन इंडिया' में कम्युनिकेशन एक्सपर्ट केवल जे. कुमार ने बताया कि कम्युनिकेशन यानी संवाद रोटी, कपड़ा और मकान की तरह इंसान की मूलभूत जरूरतो में से एक है।
वो बाते जो गैरो से न बताए।
पर्सनल सीक्रेट,
फैमिली प्रॉब्लम,
हेल्थ प्रॉब्लम,
रिलेशनशिप इशूज,
फाइनेंशियल स्टेटस,
बैंक अकाउंट डीटेल्स,
डर और कमजोरी,
सेल्फ रिफ्लेक्शन,
सपने और लक्ष्य,
पार्टनर की कोई कमजोरी या बुराई।
मनोविज्ञान कहता है कि जब तक आपकी कोई ऐसी बात आपके दिल और दिमाग पर बोझ न बने उसे राज रखना ही बेहतर है इसको बनाए रहना भी नेचुरल है।
किससे के सकते है।
अपने पर्सनल सीक्रेट सामान्य स्थिति में किसी से नहीं कहे और सपने और लक्ष्य को भी सामान्य स्थितियों में किसी से नहीं, पर पार्टनर से कर सकते हैं।
फाइनेंशियल स्टेटस सिर्फ क्लोज फैमिली और बैंक से करें शेयर।
फैमिली प्रॉब्लम फैमिली मेंबर्स से या जो उस प्रॉब्लम से प्रभावित होने वाले से कहें हैं।
हेल्थ प्रॉब्लम को डॉक्टर और प्रभावित होने वाले फैमिली मेंबर्स से। दोस्त और ऑफिस बॉस से भी कह सकते है।
डर और कमजोरी को सामान्य स्थितियों में किसी से शेयर नहीं करें काउंसिलर या साइकिएट्रिस्ट से बोल सकते है।
रिलेशनशिप इशूज को सामान्य स्थिति में सिर्फ रोमांटिक पार्टनर से बोले इसके अलावा काउंसिलर या साइकिएट्रिस्ट से भी कहना सही है।
5 Comments
LEAVE A REPLY
Your email address will not be published