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इंदौर का केस 9 साल बाद हुआ खारिज: FIR में मां बेटे की जान गई, परिवार की खुशियां हुई खत्म, 9 साल बाद केस निकला झूठा। 

9 साल पहले इंदौर में हुए एक मीडियाकर्मी के खिलाफ प्रताड़ना दर्ज करी गई थी उनके खुदकुशी कर लेने के मामले ने नया मोड़ आया। हाल ही में नौ साल पुराने इस केस को कोर्ट ने खारिज कर दिया और सभी आरोपियों को बरी करार दिया।

ये था मामला 

इंदौर में रहने वाला मीडियाकर्मी अजय के खिलाफ उसकी पत्नी ने उस पर घरेलू क्रूरता का आरोप लगकर FIR दर्ज करी थी जिससे पति ने 3 साल बाद ट्रेन से कटकर सुसाइड करली और उसकी मां की जान भी गई थी अब कोर्ट ने इस मामले में पत्नी के द्वारा दर्ज FIR को न्यायसंगत नहीं माना और कहा कि उन्होंने गलत जानकारी देकर घरेलू हिंसा का केस किया था। अब परिवार ने आरोप मुक्त होने के बाद मीडियाकर्मी की पत्नी के खिलाफ एमजी रोड थाना में शिकायत करी है इस मामले को समझने के लिए इस तत्व के समझे।

विवाद का कारण।

मीडियाकर्मी अजय सुखलिया क्षेत्र में रहता है इसकी शादी 2009 में हुई इनके परिवार में सास, जेठ-जेठानी और ननद साथ रहते थे विवाद का कारण प्रॉपर्टी और रुपए बने क्योंकि शादी के बाद से ही पत्नी रुपए मांगने और प्रॉपर्टी अपने नाम कराने की जिद करने लगी और इसके इनकार करने पर ससुराल के लोगों को प्रताड़ित कर केस में फंसाने की धमकियां देने लगी थी जोकि अंत में उसने ऐसा ही किया।

एक-दूसरे के खिलाफ करी एफआईआर।

अजय अपनी पत्नी की धमकी से तंग आ गया था तब उसके 2015 में हीरानगर थाने में अपनी पत्नी के खिलाफ केस दर्ज कराया था पर एक महिला का मामला होने से पुलिस ने ज्यादा सख्त एक्शन नहीं लिया था इसके 3 माह बाद ही महिला ने ससुराल वालों के विरुद्ध काउंटर एफआईआर दर्ज करवा दी और पति, सास और देवर पर दहेज प्रताड़ना के आरोप लगाए।

कोर्ट में पत्नी के आरोप निरस्त।

बीते बुधवार को जिला कोर्ट में 9 साल बाद महिला की एफआईआर को गलत ठहराया गया और घरेलू हिंसा के केस को पूरी तरह गलत कहकर उसके साथ सभी आरोपियों को बरी किया गया, दुर्भावना के चलते दर्ज कराने के आधार पर खारिज कर दिया गया।

पत्नी के आरोप को निरस्त करने का ये भी एक कारण था कि मीडियाकर्मी पति ने सुसाइड कर ली थी इसके बाद इनकी मौत से मिले करीब 9 से 10 लाख रुपए ससुरालवालों ने खुद रखने के बजाय उसकी पत्नी को दे दिए थे, इसके बावजूद भी महिला ने खुद को निर्धन बताकर लीगल एड से सरकारी वकील मांगा था इस तरह कोर्ट को गुमराह किया और महिला कानून का दुरुपयोग

किया ।

 

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