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 समान नागरिक सहित: उत्तराखण्ड पहला राज्य, इस राज्य की विधानसभा में पेश किया गया समान नागरिक सहित बिल।

काफी समय से चर्चा में रहा समान नागरिक संहिता बिल जोकि हाल ही में उत्तराखण्ड के विधानसभा में पेश हुआ था जिसको पारित होने के बाद इस यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड बिल पर उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है क्योंकि इसके बाद नागरिक संहिता लागू होगी यह के बाद अब ये सहित अन्य भाजपा शासित राज्यों में और फिर केंद्र में भी लागू किया जा सकता है।

समान नागरिक संहिता का विरोध।

इस बिल को लेकर शुरू से काफी वाद विवाद रहा है लेकिन इस बार विपक्ष ने इसका विरोध नही किया है बल्कि अलग ही तरह के सवाल किए जा रहे और कुछ मुस्लिम नेता है जो उनसे जुड़े राजनीतिक दल ज़रूर इस पर कड़ी आपत्ति जता रहे हैं।

क्या है समान नागरिक संहिता।

ज़्यादातर देशों में दो तरह के क़ानून मौजूद होते है जैसे की आपराधिक या क्रिमिनल क़ानून और सिविल क़ानून जिसमें

क्रिमिनल क़ानून में चोरी, लूट, मार-पीट, डकैती, हत्या जैसे आपराधिक मामलों की सुनवाई होती है जोकि इसमें सभी धर्मों या समुदायों के लिए एक ही तरह के कोर्ट, प्रोसेस और सजा का प्रावधान किया गया है।

ये नया सिविल क़ानून सहित कई मायनों में भिन्न है जोकि शादी, ब्याह और संपत्ति से जुड़े मामले शामिल किया गए है।

ऐसे तैयार हुआ UCC का ड्राफ्ट।

ड्राफ्ट 4 खंडों में जिसमें 749 पेज।

70 से अधिक पब्लिक मीटिंग हुईं।

2.33 लाख लिखित फीडबैक ऑनलाइन लिए।

60,000 लोगों से बातचीत कर ड्रॉफ्ट बनाया गया है।

पर्सनल लॉ ख़त्म।

इस बिल से अलग अलग धर्मों या समुदायों से जुड़े क़ानून होगे खत्म, जैसे कि अभी मुस्लिमों पर्सनल लॉ है जो भी बँटवारा होता है उसको मुस्लिम पर्सनल लॉ के मुताबिक़ किया जाता है और जब हिंदुओ में शादी होती है तो ये हिंदू मैरिज एक्ट के तहत होती है और इसी तरह ईसाई और सिखों के लिए भी अलग तरह के  पर्सनल लॉ मौजूद है।

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