आदित्य L1: जब पीएम ने दी थी इसरो को बधाई, सूरज के दरवाजे पर पहुंचा था आदित्य L1 ISRO का ने रचा इतिहास।
ISRO भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने एक बार फिर से इतिहास रचा है 'आदित्य-एल1' इस को पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर लैंग्रेज पॉइंट 1 पर हेलो ऑर्बिट में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया है पिछले साल 2 सितंबर को सूर्य का अध्ययन करने के लिए आदित्य एल1 को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सोशल मीडिया पर इसरो की इस उपलब्धि की लिए बधाई दी थी।
क्या होता है लैंग्रेज पॉइंट।
लैंग्रेज पॉइंट वह क्षेत्र होता है जहां पृथ्वी और सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण निष्क्रिय होता है एल1 पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी का लगभग एक प्रतिशत है, इसके पास ही यान एक हेलो ऑर्बिट में रखा गया है इससे जुड़ी सभी अहम जानकारी इसरो को मुहैय करवा सकता है एल1 पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी का लगभग एक प्रतिशत है। इस आदित्य एल1 को इस ऑर्बिट में रहकर रियल टाइम में सूर्य की गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव से जुड़ी जानकारी इकट्ठा करने में मदद होगी क्योंकि इससे सूर्य को लगातार देखा जा सकता है।
आदित्य एल1 का उद्देश।
इसरो का इस मिशन का उद्देश सूर्य की सतह पर आने वाले सौर भूकंप, सूर्य के धधकने संबंधी गतिविधियों और पृथ्वी के करीब अंतरिक्ष में मौसम से जुड़े सभी अहम मुद्दों की जानकारी को रिकॉर्ड करेंगे।
तकनीकी से बना यान।
आदित्य एल1 में तकनीकी का उपयोग किया गया है कि ये अत्याधुनिक ताप प्रतिरोधी है इसरो ने इसके बाहरी हिस्से पर स्पेशल कोटिंग की है जोकि इसको सूर्य के प्रचंड ताप से सुरक्षित रखने में सहायक रहेंगे इसके साथ साथ इसमें सूर्य के तापमान से बचाने के लिए और उपकरण का उपयोग किया गया है इस यान को इसलिए भी महत्वपूर्ण बताया गया है कि ये अंतरिक्ष के मौसम में सूर्य की गतिविधियों को रिकॉर्ड करेंगे और मौसम में परिवर्तन को समझकर वैज्ञानिकों को इससे जुड़ी जानकारी उपलब्ध करवाएगा।
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