राम मन्दिर का कंस्ट्रक्शन: कुल 44 दरवाजे 14 सोने से जड़े हुए होगे, बुजुर्गो के लिए लिफ्ट का बंदों बस।
22 जनवरी, 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करी जायेंगी, आज के रॉयल न्यूज में ख़बर है अयोध्या के राममंदिर की, जहा अयोध्या में राममंदिर के पहले फेज का काम पूरा होने पर है। इसकी जानकारी खुद राममंदिर के कंस्ट्रक्शन मैनेजर गिरीश सहस्रभोजनी ने दी है जोकि इसके कंट्रक्शन में तीन साल से काम कर रहें है।
कंस्ट्रक्शन मैनेजर के मुताबिक बताया गया कि राममंदिर भव्य इस तरह बनाया जाएं कि इसमें किसी तरह की कमी या त्रुटि नही रहें इसलिए इसको पूर्ण करने के लिए काफी बड़ी टीम तैयार है जिसमें काफी ट्रस्ट के इंजीनियर, टाटा कंसल्टिंग के प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट्स मौजूद और इवेंट के कॉन्ट्रैक्टर के लोग शामिल हैं सभी का प्रयास है कि राम काज बढ़िया तरह से पूरा हो सके।
क्या है राममंदिर का स्ट्रक्चर।
पूरे राममंदिर कैंपस साढ़े 70 एकड़ जमीन में स्थापित किया गया है पूर्व दिशा में नयाघाट वाले रास्ते पर बिड़ला धर्मशाला से मंदिर के लिए रास्ता शुरू किया गया है जिसको नगर निगम ने बनाया है जोकि काफी सुंदर है।
मंदिर की सिक्योरिटी के बारे में।
राममंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के लिए हर दिन करीब 2 लाख लोग दर्शन के लिए आएंगे ये माना जा रहा है कि मंदिर में इतनी भीड़ मैनेज करना एक चुनौती की तरह होगा। इस चुनौती को लेकर खबर है की सिक्योरिटी के अभाव में मंदिर में पूरी रात रुकने की व्यवस्था नहीं हो पाएंगी। मंदिर के पूरे निर्माण के बाद प्लान है कि पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां को संभालना होगा और साथ में यहां शिफ्ट में पुजारियों की ड्यूटी लगाई जाएगी।
70% ग्रीन एरिया,दो STP,अलग पावर हाउस का होना।
बीते 26 दिसंबर को श्रीराम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने मंदिर परिसर का लैंडस्कैप प्लान को दिखाया इससे जानकारी मिली की मंदिर में 70% ग्रीन एरिया होगा, दो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट STP और अलग पावर हाउस बनने को है और मंदिर में 392 खंभे और 732 मीटर लंबा परकोटा होगा।
अयोध्या में रामलला का मंदिर नागर शैली में बनाया जा रहा है क्योंकि इसके निर्माण में लोहे या स्टील का इस्तेमाल नहीं किया गया है भारत में निर्माण की 16 शैलियां है राम मंदिर नागर शैली में बना है भारत के राज्य जैसे गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में नागर शैली बहुत लोकप्रिय है वेसर शैली ओडिशा में प्रचलित है और दक्षिण में द्रविड़ शैली का इस्तेमाल होता हैं।
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