टेलीकम्युनिकेशन बिल लोकसभा में पास: नया सिम कार्ड के लिए बायोमेट्रिक पहचान होगी जरूरी, फर्जी सिम लेने पर 3 साल जेल, 50 लाख जुर्माना।
20 दिसंबर को नया टेलीकम्युनिकेशन बिल 2023 केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में पेश किया इसको लोकसभा में मिली मंजूरी, जिसको अब राज्यसभा में रखा जाना अभी बाकी है दोनो सभाओं में पास होने के इसको राष्ट्रपति के पास विचार के लिए भेजा जायेगा। इस बिल का खास प्रभाव है इस बिल में खास प्रावधान है कि फर्जी सिम लेने पर 3 साल जेल और 50 लाख तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
टेलीकॉम सेक्टर को कंट्रोल करने वाली भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम यह बिल 138 साल पुराने है या बिल द इंडियन वायरलेस टेलीग्राफ एक्ट 1933 के जगह पर रहा है और ये TRAI एक्ट 1997 को भी संशोधित करने वाला है।
बायोमेट्रिक की अनिवार्यता।
इस बिल में टेलीकॉम कंपनियों ये आदेश दिया गया कि वो सिम को उपभोक्ताओं को सिम कार्ड जारी करने से पहले ही बायोमेट्रिक को अनिवार्य रूप से पहचान के लिए लागू करने को कहा गया है।
बिल के प्रावधान।
सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों को लेकर इस बिल में टेलीकॉम सर्विस या नेटवर्क के टेक ओवर, मैनेजमेंट या उसे सस्पेंड करने की अनुमति का प्रावधान दिया गया है यानी की युद्ध जैसी स्थिति में जरूरत पड़ने पर सरकार टेलीकॉम नेटवर्क पर मैसेजेज को इंटरसेप्ट कर सकेगी।
लाइसेंसिंग सिस्टम में बदलाव।
इस बिल में ऐसा प्रावधान है कि इससे लाइसेंसिंग सिस्टम में भी बदलाव आएगा। क्योंकि वर्तमान में, सर्विस प्रोवाइडर्स को विभिन्न प्रकार की सर्विसेज के लिए अलग-अलग लाइसेंस, अनुमतियां, अनुमोदन और पंजीकरण लेना पड़ता है ऐसे में 100 से अधिक लाइसेंस या पंजीकरण होते है जो टेलीकॉम डिपार्टमेंट के द्वारा
जारी किया जाता है।
प्रमोशनल मैसेज भेजने से पहले,ग्राहक की सहमति लेनी पड़ेगी।
इस बिल में यह अनिवार्य किया गया है कि कंज्यूमर्स को गुड्स, सर्विसेज के लिए विज्ञापन और प्रमोशनल मैसेज भेजने से पहले उनकी सहमति लेनी होगी। इसमें यह भी बताया गया है कि टेलीकॉम सर्विसेज देने वाली कंपनी को एक ऑनलाइन मैकेनिज्म बनाना होगा, जिससे यूजर्स अपनी शिकायत ऑनलाइन दर्ज करा सकते है।
अश्विनी वैष्णव ने बताई बिल की बड़ी बातें।
फर्जी तरीके से सिम लेने पर 3 साल की सजा और 50 लाख तक जुर्माने का प्रावधान को मिली मन जूरी।
बिल की खास बात की 100 से ज्यादा लाइसेंस की जगह अब केवल एक आसान सा ऑथराइजेशन लेना होगा।
बिल में स्पेक्ट्रम का रिफॉर्म किया गया, 1885 के एक्ट में कोई बात नहीं थी।
इसकी शिकायत के निवारण के लिए डिजिटल बाय डिजाइन 4 टियर फ्रेमवर्क को बनाया गया है और युद्ध जैसी स्थितियों आने पर टेलीकॉम नेटवर्क की सुरक्षा के लिए लीगल फ्रेमवर्क बनाया गया है।
1996 के PUCL जजमेंट के बाद से देश में ऐसी व्यवस्था है कि इंटरसेप्शन का प्रावधान बिल में किया गया है। डिजिटल भारत निधि से नई टेक्नोलॉजी और नए प्रोडक्ट डेवलप करने की व्यवस्था करी गई है।
इनोवेशन और टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट के लिए एक रेगुलेटरी सैंडबॉक्स की व्यवस्था रखी गई है यानी एक सीमित दायरे में कोई स्पेक्ट्रम या टेलीकॉम का इस्तेमाल करके कोई इनोवेशन करना चाहता है तो वो संभव किया जा सकता है।
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