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श्रद्धालु मेला: मन्नत पूरी होने के बाद नंगे पैर चलते हैं श्रद्धालु, सूर्य की किरणें शिवलिंग पर पढ़ते ही लगता है मेला, जहा रजिस्ट्रेशन है जरूरी।

सागर जिले में 10 दिवसीय ऐतिहासिक मेला लगा हुआ है यह मेला श्री देव खंडेराव भगवान मंदिर पर 20 दिसंबर से शुरू हुआ मेला 29 दिसंबर तक चलेगा। इस मेले में हो रही है श्रद्धालु की अनोखी प्रतिक्रिया जहा श्रद्धालु मन्नत मगते है पर इसके पूरे हो जाने के बाद श्रद्धालु अंगारों पर नंगे पैर चलते हैं इसके लिए पहले से रजिस्ट्रेशन करवाना पढ़ता है नंगे पैर चलने से पहले भट्टी की पूजा-अर्चना करके हल्दी डाली जाती है। इस मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग स्थापित है यहां ही हर साल मेला लगता जाता है हिंदू कैलेंडर के अनुसार बताया गया है कि अगहन महीने की षष्ठी के दिन ही दोपहर ठीक 12 बजे सूर्य की किरण जमीन पर पढ़ी है तभी से इसके साथ मेले की शुरुआत हुई है।

अंगारों पर चलने की परंपरा की शुरुवात।

मंदिर के मुख्य पुजारी नारायण मल्हार वैद्य ने बताया कि अंगारों पर चलने की परंपरा की शुरुवात 1831 से हुई है करीब 400 साल पुरानी बात है जब राजा यशवंतराव का बेटा गंभीर रूप से बीमार था काफी इलाज के बाद वह ठीक नहीं हुआ था इसके लिए राजा ने प्रार्थना करते हुए कहा कि मंदिर परिसर में भट्टियां खुदवाकर दहकते अंगारों पर हल्दी डालकर ऊपर से निकलें इसके बाद ही इनका बेटा स्वस्थ हो गया इसके बाद ही खंडेराव मंदिर पर मेले की शुरुआत हुई थी और अंगारों पर निकलने की परंपरा भी तभी से चल रही है जब ये परंपरा शुरू हुई तब निर्माण के समय मंदिर की खुदाई में पांच शिवलिंग निकले थे।

ऐसे करते है मन्नत।

जो श्रद्धालु यहां आते है वो अपनी हथेली में हल्दी लगाकर मंदिर की दीवारों पर छाप छोड़कर मन्नत मांगते हैं और जब इनकी मनोकामना पूरी होने पर ये अंगारों पर चलने का काम पूरा करते है इनमें स्त्री-पुरुष दोनों ही शामिल रहते है। 

अंगारों पर चलने की तैयारी।

इस मेले के लगने के बाद यह मंदिर में दर्शन करने और मेले में शामिल होने के लिए हजारों लोगो का आना शुरू हुआ। पर अंगारों पर चलने वाले के लीये श्रद्धालुओं के रजिस्ट्रेशन किए जाना जरूरी है इसके लिए रजिस्टर पर नाम दर्ज किया गया है और समय को भी बताया गया है जिस दिन श्रद्धालु अंगारों पर चलकर परंपरा को पूरा करेंगे।

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