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सूर्य की फुल डिस्क फोटेज: सूर्य की पहली आदित्य L1 फोटोज आई सामने, टेलीस्कोप के द्वारा 11 फिल्टर का किया गया इस्तेमाल, 7 जनवरी तक लैगरेंज पॉइंट्स पर पहुंचे ने की आशंका।

20 नवंबर को चालू किया गया इसरो के द्वारा (सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप) सूट इसने सूर्य की फुल डिस्क तस्वीरें खींची हैं जिसको बनाने के लिए पेलोड ने 11 फिल्टर का इस्तेमाल किया जोकि 8 दिसंबर को इसरो के द्वारा X पर इन तस्वीरों को शेयर की गई है और इसके कॉमेंट में लिखा की सूट ने जो तस्वीरें खींची गई है उनमें सनस्पॉट, ब्लैक स्पॉट, सूर्य का शांत क्षेत्र नजर आ रहा है।

सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT) पेलोड ने अल्ट्रावायलेट वेबलेंथ्स के पास जो सूर्य की फुल डिस्क इमेज कैप्चर की करी है ये फोटोज सूर्य के फोटोस्फीयर और क्रोमोस्फीयर के क्रिटिकल डीटेल्स में दिखाई दी है इसके अंदर 200 से 400 नैनो मीटर तक की वेबलेंथ में सूर्य की पहली फुल-डिस्क रिप्रजेंटेशन शामिल है।

आदित्य L1 मिशन।

2 सितंबर को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा में सूर्य की स्टडी के लिए सतीश धवन स्पेस स्टेशन से पोलर सैटेलाइट व्हीकल (PSLV-C57) के जरिए आदित्य L1 मिशन को लॉन्च किया गया था। इसरो के चीफ से मिली जानकारी के मुताबिक आदित्य L1 मिशन फाइनल फेज पर है इसकी उम्मीद करी जा रही है कि 7 जनवरी 2024 तक लैगरेंज पॉइंट पॉच पहुंच सकता है। 

क्या है ये लैगरेंज पॉइंट-1 (L1)।

लैगरेंज पॉइंट का नाम इतालवी-फ्रेंच मैथमैटीशियन जोसेफी-लुई लैगरेंज के नाम पर रखा गया था इसको आम भाषा में L1 नाम से जाना जाता है इस तरह के पांच पॉइंट धरती और सूर्य के बीच में है यही जो सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल बैलेंस हो जाता है और सेंट्रिफ्यूगल फोर्स बनी रहती है।

आदित्यL1 के सूर्य पर जाने की वजह।

आदित्य स्पेसक्राफ्ट को L1 पर भेजने की वजह है कि सूरज के किनारों पर होने वाली हीटिंग का पता लगाएगा।

सूरज के किनारों पर उठने वाले तूफानों की गति और उसके तापमान के पैटर्न को समझ पाना, और सूरज के वायुमंडल की जानकारी रिकॉर्ड कर माना।

पृथ्वी पर आने वाली सूरज की किरणों से मौसम पर पड़ने वाले असर का पता लगाएगा।

इन तस्वीरों से होने वाला फायदा।

इस आदित्य L1 ने SUIT के जरिए जो तस्वीरों भेजी है स्टडी से वैज्ञानिकों को मैग्नेटिक सोलर एटमॉस्फीयर की डायनैमिक कपलिंग की स्टडी में ये मदतगर साबित हुआ है इसके साथ पृथ्वी पर सोलर रेडिएशन के असर को रोकने के उपाय को तलाशने में भी मदद मिलेगी।

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