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चुनाव प्रक्रिया : चुनाओ के नतीजे सामने आयें पर कौन है जो चुनता है मुख्यमंत्री और सीएम को, शपथ ग्रहण के लिए तैयार होना।

राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में हुए चुनाओं के नतीजे आए सामने राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ तीनों राज्यों में बीजेपी ने अपना परचम लहराया पर तेलंगाना में कांग्रेस की जीत रही पर अब सरकार बने की आई बारी, जानिए इसकी पूरी जानकारी।

4 राज्यों के फाइनल नतीजे।

कुल सीटें/बहुमत 199/100

राजस्थान

बीजेपी 115

कांग्रेस 69

अन्य 15

कुल सीटें/बहुमत 230/116

मध्य प्रदेश

बीजेपी 163

कांग्रेस 66

अन्य 01

कुल सीटें/बहुमत 230/116

छत्तीसगढ़

बीजेपी 54

कांग्रेस 35

अन्य 01

90/46

119/60

कुल सीटें/बहुमत 119/60

तेलंगाना

कांग्रेस 64

बीएचआरएस 39

अन्य 16

सरकार कौन बनाएगा।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 यह आर्टिकल ये भी बताता है कि राज्यपाल मुख्यमंत्री की तरह ही मंत्रियों को भी शपथ दिलाते हैं। ये बताता है कि नतीजे आने के बाद नई सरकार बनाने तक राज्यपाल की भूमिका सबसे अहम भूमिका है।

विधानसभा चुनाव में जिस पार्टी को बहुमत दिया जाता है वो राज्यपाल के सामने सरकार बनाने का दावा पेश करती है, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ, तेलंगाना ये चारों राज्यों में स्पष्ट बहुमत है इसलिए यहां ये पार्टियां सरकार बनाने का दावा करेंगी।

मंत्रियों को कौन चुनता है।

मुख्यमंत्री का चुनाव विधायको के द्वारा किया जाता है इस तरह मुख्यमंत्री ही राज्य में अपने मंत्रिमंडल के लिए मंत्रियों का चुनाव करते है किसी राज्य के कुल विधायकों के 15% मैक्सिमम को मंत्री बनाए जा सकते है जबकि इसके लिए मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की संख्या 12 से कम नहीं होनी चाहिए।

मुख्यमंत्री कैसे चुने जाते हैं।

जब चुनाओं के नतीजे सामने आते है इसके बाद बहुमत प्राप्त करने वाली पार्टी के विधायक अपने दल के नेता का चुनाव कर लेते है यही नेता मुख्यमंत्री बनता है। राजनीतिक चलन में आमतौर पर पार्टी चुनाव से पहले मुख्यमंत्री की घोषणा कर देती है या चुनाव बाद सीएम का नाम हाईकमान तय करता है।

सरकार की कसौटी।

यदि कोई छोटी पार्टी है जो विधायकों के समर्थन पत्र के साथ बहुमत का अपना दावा रहती है, तो राज्यपाल उसकी भी सरकार बनवा सकते हैं हालांकि सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करना होता है तो सदन का विश्वास मिलने पर ही सरकार आगे बढ़ती है नहीं तो गिर जाती है।

इसका एक उदाहरण है जैसे कि- 1998 के लोकसभा चुनाव में देखा गया था कि किसी को बहुमत नहीं मिला। बीजेपी ने AIADMK के साथ मिलकर सरकार बनाई तो थी 13 महीने बाद विश्वास मत में ये सरकार 1 वोट से गिर गई थी।

किसी को बहुमत न मिलना।

यहीं कभी ऐसा होता है कि किसी एक पार्टी को भी बहुमत नहीं मिलता तो उसे हंग असेंबली कहते हैं और अगर सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाली पार्टी बहुमत नहीं जुटा पाती तो दूसरी बड़ी पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रण दिया जाता है।

इसके उपरान्त ऐसा हो जाएं कि अगर कोई दल या गठबंधन बहुमत नहीं जुटा पाता तो राज्य में दोबारा चुनाव हो सकते हैं।

जैसे दिल्ली विधानसभा 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में बहुमत का आंकड़ा 36 था पर बीजेपी ने सरकार बनाने से मना कर दिया, तब आप-कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाई।

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