हलाल सर्टिफिकेट: उत्तर प्रदेश के बाद कर्नाटक में लगा हलाल सर्टिफिकेट पर प्रतिबंध, देश भर में बैन करने की हो रही है माग।
उत्तर प्रदेश के बाद का कर्नाटक में भी हलाल सर्टिफिकेट पर बैन लगा दिया है, इसके साथ ही मांगी ये भी है कि यह पूरे देश में फूड और नॉन फूड एजेंटीयों द्वारा हलाल सर्टिफिकेट को बन कर दिया जाए। यूपी में एक एफआईआर से शुरू हुआ था। यह मुद्दा, आब पूरे देश में विवाद का विषय बनता जा रहा है।
क्यों आई ऐसी नौबत।
योगी सरकार ने FIR के दर्ज होने के 2 दिन बाद ही ऐसा निर्णय लिया कि हलाल सर्टिफिकेट को किया जाएं बैन। जब नॉन मीट को हलाल सर्टिफिकेट दिया जाने लगा। बात 17 नवंबर की है जब इसके खिलाफ लखनऊ में एफआईआर दर्ज की गई कि नॉन मीट प्रोडक्ट जैसे तेल, शहद, घी, साबुन, अन्य चीजों को हलाल सर्टिफिकेट देना गलत बताया गया कंप्लेन्नेंट ने इसको धर्म विशेष की लोगो में इसको लेकर प्रोडक्ट की बिक्री करना बताता और साथ ही ये आरोप था कि हलाल सर्टिफिकेट दिए जाने में नकली या जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया जाता है।
क्या होता है हलाल।
हलाल एक अरबी भाषा का शब्द है जिसका मतलब होता है कानूनी, वैध और जायज, और इस्लामी तौर पर देखा जाए तो कुरान में हराम का मतलब होता है। नाजायज के विपरित। यही की जिसपे हलाल की मोहर होगी उसका इस्लामिक तौर से जायस होगा। इसके लिए ही शायद मीट को हलाल सर्टिफिकेट दिए जाते थे पर कुछ समय पहले दावियो से लेकर ब्यूटी प्रोडक्ट सब पर ही हलाल मोहर लगने लगी यही से इसका विरोध शुरू हो गया।
कौन है जो जारी करता है ऐसा सर्टिफिकेट।
भारत में कोई ऐसी लीगल या ऑफिशियलअथॉरिटी नही है जो इस तरह के सर्टिफिकेट इश्यू करती हो इसके लावा भी ऐसी फूड एजेंसी मौजूद है जो फूड प्रोडक्ट और दूसरे प्रोडक्ट्स पर मार्क उपलब्ध करवा रही है। ये एजेंसी दावा करती है कि इनको इन प्रोडक्ट को हलाल मार्क्स देने वाले सर्टिफिकेट इनके पास मौजूद है इससे मुस्लिम खरीदार प्रभावित होते है।
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