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मिठाई का स्वाद: विदेश तक मारोठिया पेड़ों की डिमांड 125 सालो से नही बदला इसका स्वाद, राजावाड़ो की दावत की पसंदीदा शान।

इंदौर अपनी स्वच्छता के लिए भारत देश में है काफी प्रसिद्ध इसके लावा अल सुबह से मिलने वाले पोहा-जलेबी का भी अपना की मजा है इसके साथ राजवाड़ा और मारोठिया के पेड़े भी काफी फेमस हैं इसकी शुरुआत राजस्थान से आए श्यामलाल बिरदी चंद्र जैन ने की थी। सौ साल से भी ज्यादा का समय हो गया है पर इसके मावे के सिके हुए पेड़े का स्वाद इंदौरियों की जुबान पर बना हुआ है।

जैन परिवार की पांचवीं पीढ़ी है जो आज अपने पूर्वजों के द्वारा 

मारोठिया का स्वाद आज भी बना हुआ है यह काफी घर में आज भी बनाई जाती है क्योंकि मारोठिया पेड़े के बगैर इंदौर के कई बड़े नेता, अधिकारी और उद्योगपतियों कोई भी शुभ कार्य नहीं करते है।

इसका इतिहास।

मारोठिया के पेड़े की कहानी ऐसी रही है कि प्रसिद्ध विनोद जैन बताते है हमारे पूर्वज काम की तलाश में राजस्थान से इंदौर आते थे यहां से उनके मावे के सिके हुए पेड़े की चर्चा दूर-दूर तक होना शुरू हो गए थी और एक के वक्त में यह राजवाड़ा की दावतों की शान बन गया। सभी इसका स्वाद अच्छे से जन चुके है क्योंकि असली पेड़े के स्वाद का सफर यहीं से शुरू हुआ था।

विनोद जैन बातें है कि हमने इसे व्यापार न समझकर इसको 

बुजुर्गों का आशीर्वाद और शहर के लोगों की सेवा की तरह देखना चाहिए।

इंदौर में खुली पांच शाखाए।

मारोठिया पेड़े की शहरो में पांच स्थानों पर शाखाएं खुली है मारोठिया बाजार के अलावा साकेत नगर, महालक्ष्मी नगर, उषा नगर, कालानी नगर में भी दुकानें मौजूद है। इस पर जैन कहते भी है कि त्योहारों पर खास मांग के साथ इसकी डिमांड विदेशों में भी है इंदौर से जाने वाले लोग अक्सर पेड़े ले जाते है।

तैयार होते हैं सिके मावे के पेड़े।

10 किग्रा मावे को धीमी आंच पर सेके जाते है और सिकाई के दौरान इलायची का पाउडर मिलाया जाता है। फिर इसमें सिकाई के बाद मावे को हल्का ठंडा करने के लिए बड़े बर्तन में रखा जाता है, पेड़े को अंतिम आकार देते वक्त शक्कर के बूरे की परत चढ़ाई जाती है। 15 से 20 दिन तक यह पेड़ा खराब नहीं होता और ताजा मावा दुकान में ही तैयार किया जाता है 440 रुपए किलो है स्पेशल पेड़े की कीमत होती है।

रोजाना 5-6 क्विंटल बनते है पेड़े।

रोजाना पांच से छह क्विंटल मावे के पेड़े बनाए जाते रहें है त्योहार या किसी खास पर्व पर खपत दोगुनी हो जाती है तीन अलग-अलग तरह के पेड़े के साथ कई तरह की मिठाइयां शुद्ध घी से तैयार करा जाता है।

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