इलेक्शन पॉइंट्स: नेताओ के क्रिमिनल रिकॉर्ड से भरे हुए है अकबर, भाजपा चिंतित हो उठी दीनदयाल उपाध्याय के बयान से।
पूर्व मुख्यमंत्री बंटाढार कमलनाथ और दिग्विजय जोकि शोले के जय और वीरू की तरफ जाने जाते है बीजेपी का कहना है कि जय-वीरू से लेकर चूहा, अजगर, सियार, कुत्ता जैसे तुलना प्रत्याशियों से की जा सकती है, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच हुई ऐसे कुर्ता फाड़ कलह सार्वजनिक मंच से सभी के सामने आई थी।
तोमर और शिवराज की दोस्ती।
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर है जोकि अपनी और शिवराज सिंह की दोस्ती को जय और वीरू जैसी दोस्ती कहते है इसको लेकर जो कंट्रोवर्सी है इस बात को लेकर कि दलों को चोरों के नाम पर दोस्ती का नाम दिया हुआ है, धर्म की बात पूछी जाएं तो कोई विधायक सांसद को राक्षस कहता है।
इससे बात को लेकर नरेंद्र तोमर का बयान है कि मेरे जैसा वक्त आदिवासी गांवों में पला बढ़ा हुआ इंसान करे तो भी समझ आया है, लेकिन जो कॉन्वेंट में पढ़े, अंग्रेजी माध्यम में पढ़े हुए है, बड़े पेशोंवर है तो ये सोचने वाली बात है कि नई पीढ़ी को ऐसे लोकतांत्रिक संस्कार दिए जा रहे है कि ये पीढ़ी घूस और दलाली के पैसे लेना जन्मसिद्ध अधिकार समझने लगी है।
ऐसा कहा भी जाता है कि , बना देते हैं इंसान को लीडर ।
बेवजह कोई कौम की खिदमत नहीं करता।।
मालवा में कमजोर होती जड़ें।
इन दिनों दीनदयाल उपाध्याय का ऐसा बयान जो काफी चर्चा में है कि मालवा एक पुराना किला है इस किले के रखवालों में कुशाभाऊ ठाकरे, सुंदरलाल पटवा, वीरेंद्र कुमार सखलेचा, डॉक्टर लक्ष्मीनारायण पांडे और सुमित्रा महाजन जैसे संस्थापक नाम शामिल रहें है इन लोगो में से एक पटवा परिवार ने दीनदयाल उपाध्याय के कथन पर पार्टी को घेरना शुरू कर दिया।
पूर्व सीएम सुंदरलाल पटवा के भाई संपत पटवा ने अपने अखबार में दीनदयाल को याद करते हुए संदेश दिया है कि
"यदि पार्टी किसी गलत व्यक्ति को टिकट देकर उम्मीदवार बनाती है तो फिर पार्टी कार्यकर्ताओं का कर्तव्य है कि गलत उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान नहीं करे। इन उम्मीदवारों को पराजित करे"।।
अखबारो में आपराधिक ब्यौरा।
इस मामले को लेकर कहा जाय था कि यदि कोई भी है जो चुनाव के लिए उम्मीदवार है तो उसको अपराधों के आरोपियों के मामलों का विज्ञापन अखबार में देना चाहिए ऐसा बहुत है कि अखबारों के पन्ने उम्मीदवारों के आपराधिक ब्यौरे से भरे हुए हैं क्योंकि ऐसा काफी बार हुआ है कि अखबारों में अपराधों का ब्यौरा देने वालों को वोट करके चुना जाता है सिर्फ इसीलिए कि आज हमारे बीच कोई नेहरू या दीनदयाल उपाध्याय नहीं है।
5 Comments
LEAVE A REPLY
Your email address will not be published