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लक्ष्मी की स्वागत की तैयारी: यमराज के लिए दीपदान करने की तीन मान्यताएं और मुहूर्त, चौदस हुआ आज।

11 नवंबर यानी आज के दिन दीपोत्सव का दूसरा दिन रूप चौदस मनाया गया इस पर्व को नरक चतुर्दशी और छोटी दीपावली भी कहा जाता है इस पर्व से जुड़ी कुछ मान्यताएं है।

पहली मान्यता ये रही है कि देवी लक्ष्मी के स्वागत के लिए सजने-संवरने का दिन आज माना गया है।

दूसरी: श्रीकृष्ण ने कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी पर नरकासुर नाम के दैत्य का वध किया था। इसके बाद तीसरी या कि यमराज के लिए दीपदान करने का पर्व आज का दिन रहा है।

12 नवंबर यानी कल के दिन लक्ष्मी पूजा की जायेंगी इस पूजा से पहले भक्त अपने रूप को निखारने के लिए उबटन लगाते हैं, तेल मालिश करना और पानी में जड़ी बूटियां डालकर स्नान करना ऐसा काम इसलिए करते है कि देवी लक्ष्मी उन्हीं लोगों पर कृपा करें ऐसे कृपा लक्ष्मी इनपे करती है जो साफ-सफाई से रहते हैं, जिनके घर और विचारों में पवित्रता बनी रहती है।

उबटन बनाने और लगाने का तरीका।

हल्दी, चंदन, बेसन, केसर, दूध, गुलाब जल, इत्र, सुगंधित तेल और पानी मिलाकर उबटन बनाएं फिर जब उबटन सूखने लगे तो पानी से धो लें। उबटन को चेहरे, गर्दन, हाथ-पैर हल्के हाथों से लगाएं इसके बाद कुछ देर उबटन लगे रहने दें इसको उबटन को पूरे शरीर पर भी लगा सकते हैं।

नरक चतुर्दशी से जुड़ी कहानी।

नरकासुर नाम का एक राक्षस हुआ करता था जिसने 16,100 महिलाओं को बंदी बना लिया था इस बात का पता भगवान कृष्ण को लगा तब ही कृष्ण ने कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर नरकासुर का वध किया और सब 16, 100 महिलाओं को कैद से मुक्ति दिलाई। इन महिलाओं के मान सम्मान के लिए महिलाओं से विवाह कर लिया था इस वजह से श्रीकृष्ण की 16, 108 रानियां कही जाती है, नरकासुर वध की तिथि होने से ही इसे नरक चतुर्दशी कहा जाता है।

यमराज के लिए दीपदान करने की विधि और मुहूर्त।

नरक चतुर्दशी की शाम सूर्यास्त के बाद गेहूं का आटा गूंथें फिर गूंथे हुए आटे से चार मुंह वाला यानी चौमुखा दीपक बनाएं। ऐसा दीपक जिसे चार तरफ से जलाया जा सके।

दीपक में 6 चीजें ये डालें चावल, तेल, लंबी-लंबी दो बत्तियां, काले तिल, फूल की पत्तियां, कुमकुम दीपक चारों ओर जलाकर उसकी पूजा करें। 

यमराज का करे ध्यान।

घर के बाहर दक्षिण दिशा में गेहूं या चावल की छोटी ढेरी लगाएं और उस पर दीपक रखें और दीपक के आसपास रंगोली भी बना सकते हैं। दीपदान का मुहूर्त शाम 5.45 से 7 बजे तक रहेंगे।

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