सिटी ऑफ म्यूजिक: सिटी ऑफ म्यूजिक ग्वालियर को हुआ घोषित, unesco के 55 सिटी के सूची में हुआ शामिल।
ग्वालियर को सिटी ऑफ म्यूजिक संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन UNESCO ने घोषित करी है जोकि संगीत सम्राट तानसेन की नगरी ग्वालियर से जानी जाती रही है अब इसको 55 क्रिएटिव शहरों की सूची में जगह मिली है 55 शहरो के अंदर भारत के दो शहर ऐसे भी है जिनको इस लिस्ट में रखा गया है, पहला येकि ग्वालियर को क्रिएटिव सिटी ऑफ म्यूजिक बनाया है दूसरा केरल के कोझिकोड शहर को क्रिएटिव सिटी ऑफ लिटरेचर का खिताब मिल गया है।
ग्वालियर के बेहट में संगीत सम्राट तानसेन का जन्म हुआ था इसलिए ग्वालियर की उपलब्धि संगीत की विरासत के लिए मिली हुए है और हर साल दिसंबर माह में देश का ख्याति प्राप्त संगीत समारोह किया जाता हैं।
क्रिएटिव सिटीज की सूची में ग्वालियर को UNESCO ने शामिल किया जोकि 'सिटी ऑफ म्यूजिक' बनने वाला ग्वालियर भारत का तीसरा शहर में शामिल हुआ है। इससे पहले ये दर्जा वाराणसी को प्राप्त हो चुका है पर विश्व का पहला शहर इस कैटेगरी में स्पेन के सविल को चुना गया था।
उपलब्ध मिलने की है अहम वजह।
भारतीय शास्त्रीय संगीत परंपरा में सबसे पुराना घराना 'ग्वालियर घराना' को माना जाता है क्योंकि ये 'ख्याल' गायिकी के लिए प्रसिद्ध रहा है इसको ख्याल घरानों की गंगोत्री कहा जाता है।
इसमें गायनशैली का आरंभ 19वीं शताब्दी में तीन भाइयों हद्दू खां, हस्सू खां और नत्थू खां के द्वारा किया गया था इसमें ध्रुपद रचनाएं रचने वाले तानसेन रहें है जोकि यही ग्वालियर से 45 किमी दूर ग्राम बेहट में मकरंद बघेल में जन्मे थे।
मापदंड पर UNESCO करता है चयन।
UNESCO के द्वारा 2004 में ऐसा सिटी ऑफ म्यूजिक प्रोग्राम व्यापक क्रिएटिव सिटीज ( रचनात्मक शहर) नेटवर्क का एक भाग है इसको लॉन्च किया गया था। UNESCO के द्वारा सिटी ऑफ म्यूजिक' टाइटल के लिए शहरों की लिए इसके मानदंडों को पूरा करना था जैसे कि संगीत निर्माण और गतिविधि के लिए मान्यता प्राप्त केंद्र हो, राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संगीत समारोह और कार्यक्रमों की मेजबानी करने का अनुभव प्राप्त हो।
इसका उदेश संगीत उद्योग को उसके सभी रूपों में बढ़ावा देना रहा है, संगीत विद्यालय, संरक्षिकाएं, अकादमियां और संगीत में विशेषज्ञता वाले उच्च शिक्षा संस्थान मौजूद होना है।
संगीत शिक्षा के लिए अनौपचारिक संरचनाएं, जिनमें शौकिया गायक मंडल और ऑर्केस्ट्रा शामिल होने देखा जाता रहा है, संगीत की विशेष शैलियों और अन्य देशों के संगीत को समर्पित घरेलू या अंतरराष्ट्रीय मंच मिला है इसके साथ संगीत का अभ्यास करने और सुनने के लिए उपयुक्त सांस्कृतिक स्थान, जैसे खुली हवा वाले सभागार होना आवश्यक है।
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