मेडिसिन सर्च: यूनिकॉर्न के देश में एक हजार से भी ज्यादा स्टोर,यूनिकॉर्न कंपनी बान गई 7 साल में 1 mg।
2011 में हेल्थकार्ट के नाम से शुरू हुई ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म कंपनी इसने 2012 में हेल्थकार्ट प्लस की शुरुआत करी थी कंपनी का नाम छोटा, नया और मोबाइल फ्रेंडली रखा गया है। कंपनी के सीईओ प्रशांत टंडन है जिसको एक ने सुझाव दिया था कि कंपनी का नाम 100 एमजी किया जाएं जबकि प्रशांत ने 100mg के बजाय 1mg नाम रखा क्योंकि ऑनर चाहते थे कि नाम के बहाने नंबर वन पर रहें इसके बाद से ही 2015 में 1mg नाम से कंपनी की शुरुआत की करी गई और घर-घर दवाइयां पहुंचाने लगे।
कंज्यूमर्स को अट्रैक्ट करने के लिए मार्केटिंग स्ट्रैटजी होना।
प्रशांत बताते है कि शुरुआत में सबसे ज्यादा फोकस उन्होंने वर्ड ऑफ माउथ के जरिए अपने कंटेंट मार्केटिंग पर किया इसका उनको सबसे ज्यादा फायदा मिला। बात ये है कि जब बहुत सारे प्लेटफॉर्म के जरिए प्रमोशन और ब्रांडिंग किया जाता है तो इसका ज्यादा फायदा मिलता है।
सीईओ प्रशांत ने बताया कि जब पेशेंट फर्स्ट के बारे में बात करी जाएं तो पेशेंट्स को करना क्या चाहिए,और क्या जरूरतें हैं❓पर इस 1 mg में कोशिश ये है कि एक इंटीग्रेटेड हेल्थकेयर प्लेटफॉर्म
इसमें डायग्नोस्टिक, फार्मेसी और कंसल्टेंसी भी शामिल है ताकि
कंज्यूमर को ज्यादा से ज्यादा चीजें एक ही प्लेफॉर्म पर मिल मिले।
कंपनी के फ्यूचर का प्लान्स।
प्रशांत टंडन ने बताया कि कंपनी के फ्यूचर सिक्योर करने के लिए ऑनलाइन के साथ ऑफलाइन प्लेटफॉर्म पर भी काम चल रहा हैं और इसके साथ इंश्योरेंस करने पर भी फोकस करना शुरू किया गया है इसलिए कई अस्पतालों के अंदर फार्मेसी चली जा रही है रिटेल में इंश्योरेंस और कॉर्पोरेट के साथ काम कर रहे है।
प्रशांत ने अपनी कंपनी को लेकर एक इंटरव्यू में इस बात का भी खुलासा किया है कि हेल्थ केयर सेक्टर में सबसे बुनियादी चीज होती है ट्रस्ट, इसके लिए कोशिश यही करी गई है कि कंज्यूमर का पूरा भरोसा जीत सके इसलिए कंपनी ने हमेशा की परफॉर्मेंस पर फोकस किया है और इसके सॉल्विंग करने के लिए टेक्नीक पर जोर दिया।
कंपनी के डेवलपमेंट में दिक्कतें।
प्रशांत टंडन से जब इंटरव्यू में पूछा गया कि कंपनी के डेवलपमेंट को लेकर कभी ऐसी हुआ है कि आपको लगा कि बस अब वक्त मेहनत का नही कामयाबी का है, इस पर प्रशांत का जवाब था कि
एक एंटरप्रेन्योर की जिंदगी में उतार-चढ़ाव आते जाते रहते है कभी कम तो कभी ज्यादा। किसी भी काम में शुरुआत में हमेशा परेशानी ज्यादा होती है पर वक्त के साथ सब सीख जाते हैं। शुरवात में ऐसा भी था कि हम लोग गूगल पर बहुत ज्यादा ही डिपेंडेंट हो गए थे और एक बार ऐसे घटना हुई कि गूगल ने हमारा ऐडसेंस अकाउंट को कर दिया बंद फिर इससे जहीरान बात है कि बिजनेस काफी हद तक प्रभावित हुआ पर ऐसी परेशानी लगे रहने से सब कुछ तीन-चार हफ्तों में ठीक हो गया।
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