क्रिकेट अनायलसिस: एक सेकेंड में रविंद्र जडेजा करते है बॉल थ्रो, रफ्तार और दूरी एंगल से होती तय।
फील्ड पर जडेजा की गेंदबाजी से बल्लेबाज होते रहें है मैदान से बाहर कुछ इस तरह जडेजा करते है गेंदबाजी की 20 फीट की
दूरी से थ्रो किया और सीधा स्टंप्स पर करके बल्लेबाज मैदान से बाहर जडेजा का ये अंदाज अक्सर ही नोट किया गया हैं।
साइंस ऑफ क्रिकेट।
बात कर रहें है आज की सांइस ऑफ क्रिकेट कि किस तरह से पाकिस्तानी बल्लेबाज शोएब मलिक चैंपियंस ट्रॉफी में जडेजा बुलेट थ्रो का शिकार हुए थे, इस स्किल के पीछे की साइंस को जाने इस आर्टिकल में।।
बॉल थ्रो के पीछे की साइंस।
गति का नियम है जोकि बॉल थ्रो करने में लागू होता है यह नियम ऐसा नियम है कि एक तरह से प्रोजेक्टाइल मोशन लॉ है क्योंकि जब कोई चीज को जमीन के पैरेलल में फेंकी जाति हैं, तो वो कितनी दूर जाएगी ये फेंकने के एंगल, फोर्स और ग्रैविटी पर निर्भर होती है। इस नियम के मुताबिक एंगल बदला जाएं तो दूरी भी बदल जाती है और ये आमतौर पर 45 डिग्री तक सबसे ज्यादा दिखा जाता है पर यदि एंगल बढ़ने पर दूरी घट जाती है।
ये साइंस सभी क्रिकेटर पर लागू होती है ना केवल विराट या जडेजा के थ्रो पर बल्कि ओलिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा के जेवलिन थ्रो पर भी लागू हैं।
जडेजा के थ्रो की खासियत।
जडेजा की थ्रो की खासियत है कि 30 यार्ड के सर्कल में ही ये अमूमन पॉइंट पर फील्डिंग कर लेते है ऐसा करने में उनका रिएक्शन टाइम कम लेते है और 45 डिग्री से कम एंगल पर थ्रो मारते हैं, ऐसा करने से फ्लाइट टाइम घटता जाता है और गेंद जल्दी स्टंप्स तक पहुंच जाति है जडेजा जब गेंद को रिलीज करने में स्पीड 26 मीटर/सेकेंड रखते है यानी गेंद एक सेकेंड से भी कम समय में स्टंप्स को हिट कर दिखती है।
जडेजा का बुलेट थ्रो।
जडेजा ने IPL में सबसे ज्यादा 24 रनआउट, करके कोहली को नंबर 2- 19 रनआउट पर किया जडेजा 30 यार्ड पर फील्डिंग करते हैं अलर्ट माइंडसेट से रिएक्शन टाइम कम 45 या उससे कम डिग्री पर थ्रो कर लेते है, रिलीज स्पीड 26 मी./सेकेंड रहती हैं।
साइंस का काम करना।
फील्ड में 2 तरह के थ्रो किया जाता है एक तो बहुत तेजी से और दूसरा आराम से, ये कंडीशन जैसे हो उसपे डिपेंड होता है इसमें
जब फील्डर को लगता है कि बल्लेबाज आसानी से रन पूरा कर लेगा तो वो आराम से करीब 60 डिग्री पर थ्रो फेंकता है पर ऐसा भी होता है कि कभी रन आउट के चांस ज्यादा होते हैं तो ये एंगल 30 डिग्री तक घट जाता है गेंद अपनी उतनी दूरी तय करती हैं, लेकिन कम डिग्री के चलते गेंद का फ्लाइट टाइम यानी हवा में रहने का वक्त घट जाता है और गेंद तेजी से विकेट तक पहुंचती में सक्षम रहती है।
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