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बुजुर्गों के अधिकार: मां-बाप को सताना बच्चों के लिए होगा भारी, बच्चो को हो सकती है जेल, बुजुर्ग करेंगे सीनियर सिटीजन एक्ट का इस्तेमाल!

अगर आज के समय बच्चे अपने मां बाप को परेशान कर रहे हैं और मां-बाप अपने ही बच्चों से शोषण का शिकार हो रहे हैं, तो मां-बाप को जन्नत चाहिए अपने यह अधिकार जो, सिटीजन एक्ट में दिए गए हैं।

बुजुगों के पास है ऑप्शन करवाई प्रापटी अपने नाम।

जो बुजुर्ग माता-पिता है और उनके बच्चे प्रॉपर्टी अपने नाम करवाना चाहते है पर जबरन ऐसा करना अपराध है इसकी शिकायत दो तरीके से की जा सकती है। पहला ये कि पुलिस में शिकायत करी जाएं उस बेटे या बेटी के खिलाफ जो इंडियन पीनल कोड की धारा 350, 379, 506 के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया जाएंगे। दूसरी जगह ये कि वेलफेयर ट्रिब्यूनल में भी जाया जा सकता है क्योंकि ऐसे मामलों की शिकायत के लिए हर राज्य में स्पेशल ट्रिब्यूनल होता है जो सब-डिविजनल अधिकारी यानी SDO की रैंक के ऑफिसर की निगरानी में काम करता है इसलिए क्योंकि SDO को लिखित में शिकायत करी जा सकती है इस शिकायत को करते समय अपना नाम, पता और दूसरे जरूरी जानकारी साफ-साफ लिखनी होती है और शिकायत की सुनवाई के दौरान उस बुजुर्ग के बच्चों को बुलाया जाता है।

माता-पिता को डरा-धमकाकर प्रॉपर्टी अपने नाम करवाना।

अगर किसी के बेटा या बेटी ने अपने मां बाप को डरा धमकाकर प्रॉपर्टी अपने नाम कर ली है और इसके बाद उनकी देखभाल भी नहीं कर रहे या उन्हें घर से निकाल दिया है, खाना नहीं देते तब भी वेलफेयर ट्रिब्यूनल सीनियर सिटीजन की मदद करता है। इसके साथ बुजुर्ग माता-पिता अपनी संपत्ति वापस भी ले सकते हैं क्योंकि माता पिता के इस अधिकार को लेकर हाईकोर्ट ने उनके हक में फैसला सुनाया है।

मद्रास हाईकोर्ट ने अपने एक मामले में माता पिता के हक में फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर माता-पिता को लगता है कि उन्हें बिना प्यार और सत्कार के उनके बच्चे रखे है, तो वो एकतरफा तरीके से बच्चों के नाम की गई संपत्ति के विल को वापस ले सकते हैं।

बुजुर्ग 5 सिचुएशन में करे सीनियर सिटीजन एक्ट का इस्तेमाल।

बेटा-बेटी या बहू प्रताड़ित करते हैं।

बेटा-बहू संपत्ति हड़पना चाहते हैं।

बच्चे बुजुर्ग माता-पिता को मेंटेनेंस नहीं देते।

बच्चे उनके साथ मारपीट करते हैं।

बच्चे या बहू उन्हें शांतिपूर्वक जीने नहीं देते।

क्या है सीनियर सिटीजन एक्ट।

2007 में यह एक्ट सीनियर सिटीजन के संरक्षण के लिए लागू किया गया था और इसके अंतर्गत बुजुर्गों को फाइनेंशियल सिक्योरिटी, मेडिकल सिक्योरिटी, मेंटेनेंस (जिंदगी जीने के लिए खर्च) और प्रोटेक्शन मिलने का अधिकार दिया गया है। यदि किए माता पिता अपने बच्चों को प्रॉपर्टी देते है और फिर बच्चे अपने पैरेंट्स की देखभाल नही करते तो इस सिचुएशन में बुजुर्ग सीनियर सिटीजन एक्ट की मदद ले सकते हैं। इस एक्ट के अंतर्गत बुढ़ापे में बुजुर्ग शांति और डिग्निटी के साथ रह सके जोकि यह अधिकार संविधान के आर्टिकल 41 और 46 में भी दिया गया है।

सीनियर सिटीजन की कैटेगरी में आने वाले लोग।

जिन लोगों की उम्र 60 साल या उससे ज्यादा हो गई है वे सीनियर सिटीजन की कैटेगरी में शामिल है। 

बुजुर्गों का मेंटेनेंस।

माता पिता यह कोई बुजुर्गों को लेकर ट्रिब्यूनल में मामला चल रहा है तो यह ट्रिब्यूनल तह करती है कि बुजुर्गों को कितना पैसा मेंटेनेंस के तौर पर उनके बच्चे या रिश्तेदारो को देना होगा आमतौर पर अधिकतम दस हजार तक देने का प्रावधान रखा गया है।

बुजुर्ग माता-पिता से झगड़ना इसकी शिकायत।

माता-पिता से झगड़ा होने पर इसकी शिकायत पुलिस में करी जा सकती है और इसके लिए ऐसे केस में 151 आईपीसी के तहत मामला दर्ज किया जाता है।

नोट अगर कोई सीनियर सिटीजन जो भारत का नागरिक है, लेकिन देश के बाहर रहता है वह भी इस एक्ट का इस्तेमाल कर सकता है।

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