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सर्वे: बच्चों के साथ अव्यवहार करना उनकी पिटाई करना कितना गलत, हर सेकंड में बनती है बच्चे में हजारों दिमागी कोशिकाएं।

बच्चों का मानसिक संतुलन और उसका हेल्थ, कहीं ना कहीं पड़ता है उनके मां-बाप के बिहेवियर का असर बच्चों पर। बच्चों की परवरिश और इसकी कस्टडी को लेकर ही कुछ दिनों पहले रानी मुखर्जी की एक फिल्म, मैसेज चटर्जी वर्सेस नार्वे रिलीज हुई थी। यह फिल्म एक सच्ची घटना पर आधारित थी जोकि भारत में अप्रवासी फैमिली को दिखाते हुए नार्वे की सरकार से उन्होंने बच्चे की कस्टडी को लेकर नार्वे की सरकार से लड़ाई दिखाई गई थी।

नार्वे में पेरेंटिंग के नियम।

1.घर में बच्चे को खतरा तो चाइल्ड वेलफेयर सर्विस उसे अपने अधिकार में ले सकती है।

2.बेबी को बेस्ट हेल्थ सुविधाएं और डेवलप फैसिलिटी नहीं तो कस्टडी में ले सकती है।

3.बच्चे को अलग करने के बाद परिवार को हर दो हफ्ते में एक बार उन्हें देखने का मौका मिलता है।

4.बच्चों के साथ किसी तरह की हिंसा की इजाजत नहीं । पेरेंट्स का हाथ उठाना भी हिंसा का एक तरीका माना गया है।

5.यहां यह भी जान लीजिए कि यूरोप में सबसे पहला देश स्वीडन था जहां बच्चों पर हाथ उठाने को गैर-कानूनी माना गया है।

1000 दिनों में हर दिन होता है दिमाग विकसित।

यूनिसेफ के एक सर्वे के मुताबिक बच्चे के शुरुआती 1000 दिन यानी कि 3 साल तक उसका दिमाग सबसे तेजी से विकसित होता है हर सेकंड में उसके दिमाग में लाखों न्यूरल कनेक्शन विकसित होते है और यही बच्चे के शुरुआती दौर में ही पता चल जाता है कि उसका व्यवहार किस तरह का विकसित होगा और वह किस तरह की प्रकृति और व्यवहार का होगा।

इंडिया में 2018 में चाइल्डहुड सर्वे करवाया गया। यह सर्वे बच्चों की पिटाई को लेकर था के माता-पिता की क्या सोच है 1790 लोगों पर या सर्वे करवाया गया और इस सर्वे में यह देखा गया कि इस 69% पेरेंट्स यह मानते हैं कि बच्चों को थप्पड़ लगाने का उनके ऊपर बुरा असर पड़ता है और यह माता-पिता प्रोविजनल, पढ़े लिखे और वर्किंग पैरेंट्स थे।

बच्चों की परवरिश को लेकर किस तरह से माता-पिता उनकी परवरिश करते हैं और क्या होता है उनके द्वारा किया गया क्रूरता का बच्चों पर असर जैसे कि जरूरत से ज्यादा डांटना, बच्चे को बेतहाशा पीटना, अच्छे काम की तारीफ न करना, प्यार का अहसास न कराना, बच्चे की भावनाओं की कद्र न करना, दूसरे बच्चों से करना तुलना, बैड पेरेंटिंग का नतीजा, बच्चे का एंटी सोशल बिहेवियर, मानसिक विकास में दिक्कत, बच्चे का गुस्सैल व्यवहार, किसी से सहानुभूति न करना, रिश्तों से बच्चे में तनाव की समस्या इस तरह की समस्याए बच्चो के लिए क्रूरता का विषय है।

कुछ देशों में बचो की पिटाई पर है रोक।

जैसे_स्वीडन,फिनलैंड,जर्मनी,फ्रांस,जापान,नेपाल,अर्जेंटीना,ब्राजील,दक्षिण अफ्रीका,दक्षिण कोरिया शामिल है।

नोट : अब दुनिया के 63 देशों में बच्चों को पीटना गैरकानूनी है।

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