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गणगौर तीज का त्योहार कल:तीज के दिन रखा जाता है पति के लंबी उम्र के लिए व्रत, मिट्टी से बनाई जाती है देवताओं की मूर्ति।

24 मार्च यानी कि कल की तारीख को गणगौर बनाया जाएगा यह चैत्र महीने के तृतीय दिन को मनाया जाता है। इस शादीशुदा महिलाएं और कुंवारी लड़कियां भी शिव और मां पार्वती की मिट्टी से मूर्ति बनाकर उनकी पूजा करती है और साथ व्रत भी रखा जाता है और जब गणगौर की समाप्ति होती है तो यह त्यौहार धूमधाम से मनाया जाता है। 

सुबह सारी महिलाएं जल्दी उठकर बगीचे में जाती है और दूब और फूल चुनकर लाती हैं यह दूब से माता गणगौर दूध के छूटे दिए जाते है। दूसरे दिन इसका विसर्जन किया जाता है जहां पूजा की जाती है वहां उसका को गणगौर का पीहर और जहा विसर्जन होता है उसको ससुराल में माना जाता है।

देवी पार्वती की पूजा इस दिन। 

तीज यानी तृतीय तारीख और उसकी विशेष स्वामी गोरी हैं, इसलिए उनके लिए विशेष पूजा करने का प्रावधान है,सोला सिंगर से उनकी पूजा करें। देवी पार्वती की पूजा खासतौर पर विशेष तौर पर करनी चाहिए और उनको मेहंदी, कुमकुम, हल्दी और सोलह सिंगार का सामान अवश्य चढ़ाना चाहिए।

अविवाहित महिला के लिए अच्छी वर की कामना।

इस दिनांक ना कि सिर्फ शादीशुदा बल्कि कुंवारी लड़कियां भी व्रत रखती हैं और सोलह सिंगार करके 16 दिन विधि विधान से पूजा करती है, व्रत रखती हैं और इसमें भगवान शिव और पार्वती देवी की पूजा की जाती है। अच्छे वर के लिए कुंवारी लड़कियां व्रत रखकर अच्छे वर की कामना करते हैं और शादीशुदा औरतें भी व्रत रखकर अपने पति की लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं।

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