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सेहत से जुड़े हैं नवरात्रि के व्रत: देवी देवताओं की पूजा के साथ सेहत को रखें दुरुस्त, नवरात्रि के व्रत पाचन तंत्र हो रखे दुरुस्त। 

आज 22, मार्च से नवरात्रि शुरू हो गई है एक साल में 4 बार नवरात्रि होती है और इस समय देवी देवता की पूजा के साथ व्रत रखा जाता है जोकि सेहत के लिए काफी अच्छा साबित होती है। जानिए क्या और कैसे होती है नवरात्रि क्या खास है इसमें।

किस देवी की पूजा ये होता है लाभ।

देवी शैलपुत्री की पूजा से साहस मिलता है।

चंद्रघंटा अपने भक्तों की एकाग्रता बढ़ाती हैं।

स्कंदमाता की पूजा से सफलता मिलती है।

कालरात्रि दुश्मनों का डर दूर करती हैं।

ब्रह्मचारिणी के पूजन से प्रसिद्धि मिलती है जो हमको दयावान बनाती हैं।

कात्यायनी भक्तों की रुकावटें दूर करती हैं।

महागौरी के पूजन से काम में तरक्की मिलती है।

सिद्धिदात्री की पूजा से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

इन महीने में आती है नवरात्रि।

हिन्दी पंचांग के मुताबिक एक साल में चार बार नवरात्रि आती है।

चैत्र और आश्विन मास की नवरात्रि सामान्य होती हैं। इन दोनों महीनों में देवी की सरल तरीकों से पूजा की जाती है।

पहली चैत्र मास, दूसरी आषाढ़, तीसरी आश्विन, चौथी माघ मास में की जाती है आषाढ़ और माघ मास में गुप्त नवरात्रि मनाई जाती है इन महीनों में देवी की दस महाविद्याओं के लिए गुप्त साधानाएं जाती हैं ये नवरात्रि तांत्रिकों के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण होती है।

क्यों होना चाहिए नवरात्रि में व्रत-उपवास।

चैत्र नवरात्रि के समय ठंड खत्म हो जाती है और गर्मी बढ़ने लगती है। जब मौसम बदलता है तो अधिकतर लोगों को वात, पित्त और कफ से जुड़ी दिक्कतें होती हैं। ऋतु परिवर्तन के समय खान-पान में और जीवन शैली में सकारात्मक बदलाव किए जाते हैं तो मौसमी बीमारियों की रोकथाम हो सकती है। व्रत करने वाले भक्त तेल-मसाले और अन्न से परहेज करते हैं। फल, दूध और फलों के रस का सेवन करते हैं, जिससे पाचन तंत्र को आराम मिलता है। फलों से शरीर को जरूरी ऊर्जा मिलती है। फलों की वजह से इम्युनिटी बढ़ती है और हमारा शरीर मौसमी बीमारियों से लड़ने के लिए तैयार हो जाता है। नवरात्रि में मंत्र जप और ध्यान करने से नकारात्मक विचार दर होते हैं। मन शांत होता है और एकाग्रता बढ़ती है।

चैत्र नवरात्रि क्यों मनाते हैं।

इस पर्व के मान्यताएं देवी दुर्गा और महिषासुर से जुड़ी हैं। महिषासुर का वध करने के लिए चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर देवी दुर्गा ने खुद को नौ रूपों में प्रकट किया था। सभी देवताओं ने देवी के नौ स्वरूपों को अलग-अलग शक्तियां प्रदान की थीं। ये प्रक्रिया पूरे नौ दिनों तक चली थी। इस मान्यता की वजह से चैत्र नवरात्रि मनाते हैं। सभी देवताओं से शक्तियां मिलने के बाद आश्विन मास में देवी दुर्गा ने महिषासुर से नौ दिनों तक युद्ध किया। दसवें दिन देवी ने महिषासुर का वध किया था। तभी से नवरात्रि के नौ दिनों में देवी पूजा करने की परंपरा चली आ रही है।

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