मरने के बाद भी कैसे जिंदा रह सकता है इंसान क्या डेढ़ करोड़ खर्च करके कभी नहीं मर सकता इंसान, जानिए क्या है क्रयोनिक्स?
55 साल से डेड बॉडी है फ्रिज में।
1965 में 'लाइफ एक्सटेंशन सोसायटी ने ऑफर दिया कि वो किसी भी एक शख्स की बॉडी को उसकी मौत के बाद सुरक्षित रख सकते हैं। ये संस्था अमेरिका में मौत के बाद जिंदगी पर रिसर्च करने का काम करती थी। इसने कहा था कि डेड बॉडी को बर्फ में जमा कर रखा जाएगा, इसके लिए जेम्स बेडफोर्ड नाम के एक अमेरिकी प्रोफेसर ने हामी भर दी थी। बेडफोर्ड किडनी कैंसर से पीड़ित थे और उस वक्त उनका इलाज संभव नहीं था इसलिए उन्होंने अपनी सारी संपत्ति सोसायटी को दान कर अपना शरीर जमाने की इच्छा जाहिर की थी। इसके बाद 1967 में उनकी मौत के बाद उन्हें क्रायोप्रजर्वेशन की जरिए जमाकर रखा गया, जो आज 51 साल बाद भी मौजूद है।
इतना होता है डेड बॉडी को क्रायोनिक्स और फ्रिज में रखने का पूरा खर्च।
मृत इंसान को जिंदा करने के लिए डेड बॉडी को फ्रीज करके रखा जाता है इसके लिए स्टेप वाइज पूरा प्रोसेस इस तरह से होता है।
स्टेप- 1 किसी इंसान की मौत होते ही क्रायोनिक्स एक्सपर्ट एक्शन में आ जाते हैं।
स्टेप- 2 डॉक्टर ये निश्चित करते हैं कि डेड बॉडी के दिमाग तक ऑक्सीजन और ब्लड का सप्लाई होते रहे। इसके लिए मॉडर्न टेक्नोलॉजी की मदद ली जाती है।
स्टेप-3 शरीर की कोशिकाओं से पानी निकालकर उसकी जगह ग्लिसरोल से बना एक केमिकल डाल दिया जाता है।
स्टेप 4 डेड बॉडी को बर्फ में पैक करके ऐसी दवा में रखा जाता है, जो खून को जमने से रोकेगा
स्टेप 5 130 डिग्री सेल्सियस तापमान पर शरीर को ठंडा करके जमा दिया जाता है।
स्टेप-6 नाइट्रोजन भरे एक कंटेनर में शरीर को उल्टा लटकाया जाता है, ताकि कंटेनर लीक भी हो तो दिमाग बर्फ में रहे।
डेथ बॉडी को फ्रिज करके रखने का खर्च
एल्कोट क्रायोनिक्स नाम की कंपनी के मुताबिक मौत के बाद शरीर को क्रायोनिक्स तकनीक के जरिए जीवित किया जा सकता है। एल्कोट ने पूरे डेड बॉडी को सुरक्षित रखने की लागत 200,000 डॉलर यानी करीब 1.60 करोड़ रुपए बताई है। कंपनी का कहना है कि इंसान की मृत्यु के बाद हर साल इसको सुरक्षित रखने का खर्च 705 डॉलर यानी करीब 52,874 रुपए है यदि अगर किसी को सिर्फ दिमाग क्रायोनिक्स के सुरक्षित रखना है तो इसके लिए करीब 65 लाख रुपए खर्च करने पड़ेंगे।
Note 1: जनवरी 2016 से यूरोपीयन स्पेस एजेंसी और NASA के साइंटिस्ट मिलकर इस तकनीक पर काम कर रहे हैं, जिससे इंसान को डीप स्पेस में भेज सकें है।
Note 2: रिचर्ड गिब्सन, प्रोफेसर इंस्टीट्यूट ऑफ बायोएथिक्स एंड हेल्थ ह्यूमैनिटीज, अमेरिका, इस तकनीक से इंसानों को जिंदा करने की बात पर दुनिया के वैज्ञानिक दो खेमों में बंटे हुए हैं। कुछ लोग इसे संदेह से देखते हैं तो कुछ का मानना है अगले 50 से 100 साल में ऐसा संभव है!
5 Comments
LEAVE A REPLY
Your email address will not be published