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एक्सपेरिमेंट: अलग-अलग तरीकों से किया जाता है एक्सपेरिमेंट, किसी को गोली मारकर, तो किसी को इंजेक्शन लगाकर किया गया रेप, जर्मनी में बने टॉर्चर हाउस को नाम दिया गया यूनिट 731।

 एक अजब गजब एक्सपेरिमेंट जिस एक्सपेरिमेंट में ली गई लाखों लोगों के जान,जानिए क्या है पूरा मामला प्रथम विश्वयुद्ध के बाद जापान ने अपनी सेनाओं को और भी ताकतवर, मजबूत बनाने के लिए ऐसा संकल्प लिया था कि उसने खतरनाक हथियारों बनाने का विकल्प चुना, इसके लिए जापानी सेना ने मंचूरिया में एक एक्सपेरिमेंट लैप खोली जिसका नाम यूनिट 731 रखा। किसी भी एक्सपेरिमेंट करने के लिए एक ऑब्जेक्ट की जरूरत होती है जैसे कि कोई भी चूहा, बंदर लेकिन लैब में एक्सपेरिमेंट के लिए इंसानों का इस्तेमाल होने लगा अन्य जेलो में बंद लोग इसका शिकार हुए!

 13 साल तक चले इस एक्सपेरिमेंट में करीबन सैकड़ों लोगों की जान गई। कैलिफ़ोर्निया के रिसर्चर ने अपनी किताब में लिखा है कि कितने सालों में चलें एक्सपेरिमेंट में 2 लाख से ज्यादा चीनी लोगों की जान गई है, जबकि सरकारी आंकड़ा केवल तीन हजार का ही है।

 इस तरह से किया गया एक्सपेरिमेंट।

 इस लैब में उन लोगों पर ज्यादा बत्तर से भी ज्यादा बत्तर व्यवहार किया जाता था उन्हें -30 से -40 डिग्री सेल्सियस के तापमान में छोड़ दिया जाना था वह भी बिना कपड़ों के इतने में उनको रखा गया। ऐसा करे के ह्यूमन बॉडी में ठंड और गर्मी का एक्सपेरिमेंट किया जा रहा था और साथ ही अलग अलग तरीका से केमेकल बॉडी में इंसल्ट किए जाते रहे।

 गोली लगने का क्या होता है शरीर पर असर।

 एक एक्सपेरिमेंट तो इस तरह से किया गया कि एक कैदी को खंभे से बांध दिया गया और उसको अलग अलग तरीके से गोली मारी गई और उसकी जान जाने के बाद, शरीर में गोली का असर कितना और कहां पर होता है इसका उस पर एक्सपेरिमेंट किया गया । इस लैब में कुछ डॉक्टर भी मौजूद थे जो लोग गोली खाने से या ठंड में खड़े रहने से बच जाते थे उन पर भी रिसर्च की जाती थी कि यह लोग किस तरह से बच गए हैं उनकी बॉडी का पोस्टमार्टम तक किया गया।

 नोट: हालांकि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इस तरह की लैबो को बंद कर दिया गया।

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