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पेंशन विवाद: गोद लिये बच्चे क्या नहीं होंगे पेंशन के हकदार, सुप्रीम कोर्ट ने दिया एक महत्वपूर्ण फैसला,जानिया पेंशन के नियम।

महाराष्ट्र के एक विवाद की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर कोई सरकारी कर्मचारी नोकरी दौरान (सेवानिवृत्ति) मर जाता है तो उसकी पेंशन उसकी पत्नी को मिलेगी लेकिन उसकी पत्नी बाद उसके किसी बच्चे को गोद लेती है तो वह पेंशन का हकदार नहीं होगा।

जहां 1993 में सरकारी कर्मचारी सेवानिवृत्त हो गया था। बाद 1994 में उसकी मृत्यु हो गई थी और उनकी पेंशन उसकी पत्नी को मिली 1996 में उसकी पत्नी ने एक बच्चे को गोद लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, वह बच्चा गोद लिया जो कर्मचारी की मृत्यु के बाद लिया गया है बच्चा पेंशन का हकदार नहीं होगा।

पेंशन के नियम!

1.सरकारी कर्मचारी कम से कम 1 साल तक उसने किसी सरकारी विभाग में अपनी सेवाएं दी हो, उसके बाद वहां पेंशन के योग्य बनेगा।  

2.सरकारी कर्मचारी यह तय नहीं कर सकता है कि उसके बाद पेंशन किसे दी जाएगी पेंशन पर उसका कंट्रोल नहीं होगा।  

3.वह अपने बाद पेंशन के लिए किसी को नॉमिनेट नहीं कर सकता उसके बाद उसकी फैमिली को ही पेंशन दी जाती है।

सेवा के दौरान मृत्यु होने पर!

*अगर नौकरी करते हुए किसी सरकारी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, तो उसे लास्ट बेसिक पे के 50% रेट पर 10 साल के लिए पेंशन दी जाती है।

*10 साल बाद लास्ट बेसिक पे के 30% रेट पर पेंशन दी जाती है इसमें उन परिवारों को भी शामिल किया गया है, जहां सरकारी कर्मचारी की मृत्यु 7 साल की सेवा पूरी करने से पहले ही हो गई है।

पेंशनर की मृत्यु होने पर!

अगर किसी पेंशनर की मृत्यु हो जाती है तो 7 साल तक या उसके 67 वर्ष की आयु पूरी करने तक लास्ट बेसिक पे के 50% रेट पर फैमिली पेंशन दी जाती है यह समय पूरा करने के बाद लास्ट बेसिक पे के 30% रेट पर ही पेंशन दी जाएगी।

सरकारी कर्मचारी की मौत हो जाए तो परिवार के इन लोगों को मिलती है पेंशन!

मृतक की पत्नी या पति,

25 साल से कम का अविवाहित बेटा,

अविवाहित, विधवा या तलाकशुदा बेटी जो मृतक पर आश्रित हो

• दिव्यांग बच्चा जो खुद कमा नहीं सकता,

मृतक पर आश्रित माता-पिता,

मृतक पर आश्रित भाई-बहन,

नोट- फैमिली पेंशन सबसे पहले मृतक के पति या पत्नी को दी जाएगी अगर पति या पत्नी नहीं है तो बच्चों को, बच्चे नहीं हैं तो माता-पिता को और माता-पिता भी नहीं हैं तो दिव्यांग भाई-बहन को दी जाएगी।

इतने समय तक बच्चों को दी जाती है फैमिली पेंशन!

1.अविवाहित बेटा जो 25 साल से कम उम्र का है और उसका कोई रोजगार,कोई आय का साधन नहीं है तो वहां माता-पिता की फैमिली पेंशन का हकदार होगा।

2.किसी भी फैमिली में दो-तीन बच्चे हैं तो सबसे पहले बड़े बच्चे को पेंशन योग्य माना जाता है।  

3.जहां ट्विस्ट बच्चे हैं, वहां दोनों को बराबर पेंशन दी जाएंगी है।

4.अगर किसी फैमिली में माता-पिता दोनों ही सरकारी कर्मचारी हैं और दोनों की मृत्यु हो जाती है तो उनके जीवित बच्चे दोनों की पेंशन मिलेंगी।  

5.अगर कोई सरकारी कर्मचारियों मृत्यु के बाद उसकी बीवी किसी बच्चों को गोद लेती है तो वहां सरकारी पेंशन यानी के माता-पिता की पेंशन के योग्य नहीं होगा।

दिव्यांग बच्चों के लिए फैमिली पेंशन के नियम।

1.यदि फैमिली में कोई दिव्यांग बच्चा है जो शारीरिक मानसिक रूप से ऐसा है तो उसको 25 साल तक फैमिली पेंशन तब दी जाएगी जब उसके कोई आय का कोई और रास्ता नहीं होगा।

2.शारीरिक और मानसिक दिव्यांग बच्चों को उनके विवाह होने के बाद पर भी फैमिली पेंशन दी जाती है। उनको जिंदगी भर फैमिली पेंशन तब दी जाएगी जब उनसे कोई छोटा भाई बहन नहीं होगा।

3.माइनर होने पर फैमिली पेंशन उसके अभिभावक को दी जाएंगी।

अविवाहित बेटी के संबंध में पेंशन के नियम।

1.अविवाहित बेटी को फैमिली पेंशन तब मिलती है जब घर के दूसरे बच्चें 25 साल की उम्र पार करके कमाना शुरू कर चुके होंगे।

2.घर में अगर कोई दिव्यांग बच्चा है तो वह पेंशन पाने का पहला योग्य होगा उसके बाद उसकी पेंशन खत्म होगी तब आगे तलाकशुदा या विधवा, अविवाहित बेटी को पेंशन मिलेगी।

3.अविवाहित बेटी, विधवा और तलाकशुदा बेटी को फैमिली पेंशन जीवन भर मिल सकती है यदि अगर उसने दूसरा विवाह करने तक या कमाने शुरू नही किया है।

4.किसी सरकारी कर्मचारी के जीवन काल में ही उसकी बेटी का तलाक के लिए कोर्ट में प्रोसीजर स्टार्ट हो गया और तलाक होने से पहले उसके फादर या मदर की मौत हो जाती है तो भी तलाकशुदा बेटी फैमिली पेंशन पाने योग्य मानी गई है उसको फैमिली पेंशन मिलेंगी।

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