कर्मचारियों की छटनी: अमेजन गूगल और फेसबुक जैसी बड़ी कंपनियों ने करीबन 80 हजार बड़ी संख्या में भारतीय कर्मचारियों की करी छटनी, जानिए क्या है इसकी वजह।
दुनिया की बड़ी ट्रक कंपनियां जैसे अमेजन गूगल फेसबुक जैसी कंपनियों ने करीबन 12000 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला है। बीते साल से की गए ये छटनी से गूगल का मामला ज्यादा देखने वाला रहा है।
मेटा कंपनी ने 11000 कर्मचारियों को निकाला।
कंपनी के सीईओ मार्क जुकरबर्ग का कहना था कि कंपनी इस समय मुश्किल दौर से गुजर रही है। कोविड के वक्त जो उसको इनकम हुई थी, उसके बाद कंपनी को मार्केट ओपन होने पर घटा हुए है, ऐसे में कंपनी की मजबूरी रही है। 11000 कर्मचारियों को किया गया उनकी नौकरी बर्खास्त।
अमेजन ने 18000 कर्मचारियों को निकाला।
2022 के बाद कर्मचारियों के छटनी में 50% की बढ़ोतरी हुई है। 50% लोगों को नौकरी से निकाला गया है, ट्विटर और फेसबुक के बाद अमेजन तीसरी बड़ी कंपनी है जिसने 18000 कर्मचारियों को निकाला इसमें 100 हजार भारतीय है। एप्पल कंपनी ने भी नए कर्मचारियों की भर्तियों पर अभी रोक लगा दी है। गूगल पर इसका कुछ बड़ा असर नहीं पड़ेगा, लेकिन एडवर्टाइजमेंट के प्रोफेशन में गिरावट देखने को मिल सकती है।
क्या रही इसकी वजह जो ऐसी बड़ी कंपनियों ने इतनी बड़ी संख्या में कर्मचारियों को नौकरी से छुट्टी दी जानी इसकी वजह?
1.कोविड-19 के दौरान मास हायरिंग मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने कर्मचारियों की बढ़ी छटनी की वजह कोविड के दौरान ऑनलाइन मीटिंग, क्लासेस शॉपिंग जरूरत की सभी सामान ऑनलाइन मुहैया कराना था। पर यह उस समय अनुमान यह लगाया गए थे कि यही डिमांड आगे चलकर बना रहेगा, लेकिन डिजिटल एडवर्टाइजमेंट में कमी आने पर कंपनी को काफी नुकसान झेलना पड़ा जिसके चलते उसे मजबूरन छटनी करनी पड़ी।
2.वर्ल्ड बैंक और वर्ल्ड इकोनामी के स्तर की बात करी जाए तो लगातार वैश्विक स्तर पर यह गिरावट आई, एक रिसर्च के मुताबिक 2022 में 90% स्टार्टअप फेल हो गए थे इनके फेल होने की वजह कैपिटल और इन्वेस्टर में आई भारी कमी थी।
3.कोई भी स्टार्टअप को या कंपनी को सबसे पहले बिजनेस ग्रोथ करने के लिए फंड चाहिए होता है फंड मिलने के बाद जो उससे मुनाफा होता है, इन्वेस्टर रिटर्न करना होता है इसमें वर्तमान समय में डिमांड कम होने की वजह से रिटर्न करने में कमी आई, जिस वजह से कंपनी को काफी बड़ी मात्रा में अपने कर्मचारियों को निकाल पड़ा है।
4.वैश्विक मंदी के चलते यह महंगाई दर का अधिक होना जैसे कि महामारी और रूस यूक्रेन के युद्ध इसका सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ा और बाजार में मंदी आएगी। मार्केट में आई मंदी को देखा जाएं तो काफी कंपनी के कर्मचारियों की छटनी हुई, वैश्विक मंदी में उतार-चढ़ाव डिमांड और सप्लाई की वजह से आए हैं
जब मार्केट में अनाज दवाइयां और अन्य सामान की डिमांड बढ़ती है और महंगाई में भी वृद्धि होती है। इसका सीधा असर वैश्विक बाजार में उतार-चढ़ाव पर पड़ता है जिससे ₹10 की चीज ₹50 में कंज्यूमर को मिलता है ऐसे में पैसे की वैल्यू का कम होना लोगों की खर्च करने की कैपेसिटी को भी कम कर देता है।
ऐसे में आरबीआई रेपो रेट को बढ़ाता है। रेपो रेट का मतलब आरबीआई जिस दर पर दूसरे बैंकों को लोन देता है, इस रेपो रेट के बढ़ने पर कंपनियों को अपने बिजनेस बढ़ाने में परेशानियां होती हैं इसलिए कंपनी अपना नेट प्रॉफिट ज्यादा प्राप्त करने में और अपना बजट बनाये रखने के लिए वह अनचाहे कर्मचारियों को कंपनी से निकाल देती है।
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