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कॉलेजियम सिस्टम: कानून मंत्री ने सीजेआई को लिखी चिट्ठी 25 साल पुराने कॉलेजियम सिस्टम में जवाबदेही तय करने के लिए रिप्रेजेंटेटिव को करे शामिल!

बीते साल नवम्बर में कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कॉलेजियम सिस्टम में पारदर्शिता और जनता के प्रति जवाबदेही तय करने के लिए सीजेआई को चिट्ठी लिखकर कहा कि हमारे कॉलेजियम सिस्टम में का सरकारी प्रतिनिधियों को किया जाए शामिल।

क्या है कॉलेजियम, 

कॉलेजियम सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों की एक प्रणाली है जो ट्रांसफर करने और उन्हें नियुक्त करने की प्रक्रिया है। इसके सदस्य एचसी और एससी के जज ही होते हैं यह नए जजेस के लिए नाम को चुनकर राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री के पास भेजते हैं, उनकी सहमति होने के बाद सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में नए जज की नियुक्ति की जाती है।

कॉलेजियम सिस्टम में 5 जजों की नियुक्ति की जाती है और सीजेआई इसमें प्रमुख होता है। अभी फिलहाल के लिए इसमें कॉलेजियम में 6 जज हैं, ये जजों की नियुक्ति के लिए उनके नाम चुनकर केंद्र से सिफारिश करता है।

क्या बयान कर सकता है सुप्रीम कोर्ट।

बीते दिनो टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में यह कहा था कि सरकार की इस सिफारिश को सुप्रीम कोर्ट मान ले तो यह मुश्किल ही है क्योंकि 2014 में एनजेएसी को विधानसभा में पास किया गया था, और 2015 में सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने इसे असंवैधानिक  करार दिया था। फिलहाल के लिए सुप्रीम कोर्ट मे 1 सीजेआई और 5 जजों की बेंच होती है पहले तो इसमें सीजेआई का कोई उत्तराधिकारी शामिल नहीं था, लेकिन अब संजीव खन्ना को सीबीआई का उत्तराधिकारी के तौर पर अपॉइंट किया गया है।

सरकार चाहती है जजों के चयन में बदलाव।

2015 में रुका हुआ बिल जिसमें एनजीएसी जिसमें कानून मंत्री और दो प्रतिष्ठित लोगों को रखने की व्यवस्था थी, जिसका चयन प्रधानमंत्री, नेता और सीजेआई पैनल की व्यवस्था को लेकर था।फिलहाल के लिए कानून मंत्री रिजिजू का यह पत्र इसी व्यवस्थाओं को लेकर माना जा रहा है।

जजों के चयन में केंद्र से होने वाली देरी।

कॉलेजियम की ओर से भेजी गई कम से कम 104 सिफारिशों के केंद्र सरकार के पास लंबित है और यह मामला काफी टाइम से केंद्र सरकार के पास अटका हुआ है। जहां मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा, केंद्र सरकार को जल्द से जल्द इस मामले को निपटाया को कहा।

सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम सिस्टम को लेकर कहा कि इस तरह का इंटरफेयर  जुडिशरी में सही नही, यह न्याय संगत नहीं उचित नही होगा। और जजों की नियुक्ति में देरी यहां अच्छे जजों के चयन को रोकता है और उनके नामों को वापस लेने के लिए मजबूर करता है।

सेंट्रल और कांस्टीट्यूशन संस्थाओं का कहना

कानून मंत्री किरण रिजूज का कहना है कि दुनिया भर में कहीं भी ही जज दूसरे जजों की नियुक्ति नहीं करते हैं। जजों की नियुक्ति करना का सरकार का काम है और रहना 1998 में कॉलेजियम ने जजों की नियुक्ति करना शुरू कर दी तब से उनका निजी काम प्रभावित होता है ज्यादा समय जज दूसरे जजों की नियुक्ति करने में बिताते है, इसमें न्याय प्रभावित होता है।

नोट: सिर्फ कॉलेजियम ही नही, बल्कि संविधान के निर्माता डॉ अंबेडकर का यह कहना था कि जुडिशरी और सरकार दोनों अलग-अलग संस्थाएं हैं सरकार को जुडिशरी में इंटरफेयर नहीं करना चाहिए!

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