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साल 2022 के एक्सपेरिमेंट: जिसमें दावा किया गया कि हमारा फ्यूचर सुपर बन सकता है जहा एक गिलास पानी से पूरे साल बनेगी बिजली, वहीं दूसरी ओर से गोली खाकर कैंसर का हो सकता है इलाज,जानिए विस्तार से क्या है ये एक्सपेरिमेंट्स! 

बात है, बीते साल 2022 की जहा कुछ ऐसे एक्सपेरिमेंट किए गए कि जिससे आनेवाला फ्यूचर में काफी ही सफलता हासिल की जा सकती है जैसे कि अमेरिका की नेशनल लैब की बात करी जाए तो जिसने ऐसी एजेंसी को डेवलप किया है जिससे एक गिलास पानी से पूरे साल बिजली दी जा सकती है और इससे परमाणु कचरा भी खट्टा नहीं होगा। इसी अमेरिका की एक लैब में इस तरह का भी परीक्षण किया गया है जिसमें दावा किया गया कि एक गोली खाने से कैंसर पेशेंट का कैंसर ठीक हो सकता है।

साथ ही और भी बहुत कुछ परीक्षण किए गए हैं। जानिए इन एक्सपेरिमेंट्स को जो 2022 में रह सफलता पूर्ण और क्या कहना है विज्ञानों का इस पर!

डास्टरालमब क्लीनिकल ट्रायल! 

 डास्टरालमब एक ऐसा इंजेक्शन का एक्सपेरिमेंट किया गया है जो कैंसर को जड़ से खत्म कर करेंगे। इसके लिए बीते जून 2022 में अमेरिका के न्यूयॉर्क में MKCC Cancer Treatment Centre डॉस्टरलिमैब (Dostarlimab) नाम की दवा देने से 18 मरीजों में कैंसर की कोशिकाएं पूरी तरह खत्म हुए है, इसको होने में 6 महीने का समय लगा। यह सभी टेक्टल कैंसर यानी मलद्वार के कैंसर के मरीज पर एक्सपेरिमेंट रहा है। जबकि इसको बनाने में करीबन एक डॉस का प्राइस 11,000 डॉलर यानी कटीब 8.5 लाख रुपए रहा है। इसको पूरा करने के लिए 2025 तक समय लग सकता है।

कांसेप्ट की बात की जाएं तो कैंसरग्रस्त पेशेंट में कोशिकाओं में एक PD-1 नाम का एक खास प्रोटीन पाया जाता है जो इंसानों की प्राकृतिक इम्यून T-Colls को आने से रोकता है। इस क्लीनिकल ट्रायल को करने वाले डॉ. लुइस डियाज ने दावा किया है कि इस दवा से बच्चेदानी का कैंसर, ओवेरियन कैंसर, स्किन कैंसर, सिर और गले का कैंटार, बेस्ट कैंसर जेटो कई तरह के कैंसर का इलाज किया जा सकेगा। क्योंकि उनका कहना है कि हली बार किसी दवा से कैंसर के सभी मरीज ठीक हो गए है।

द लाइन सिटी!

170 किमी और 200 मीटर चौड़ा सर्च किया गया ये शहर जहां दावा किया गया है कि मौसम कंट्रोल में रहेगा इसके लिए सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस सलमान ने जुलाई 2022 में The Line City का डिजाइन लॉन्च किया था और अक्टूबर 2022 तक प्रोजेक्ट की पूरी लंबाई में खुदाई का काम शुरू किया जा चुका था। इसके लिए महत्व बात या है कि ये सऊदी के ताबुक प्रांत के निओम इलाके में समुद्र के करीब बनाया जा रहा ये शहर भविष्य का ब्लूप्रिंट रहेगा और सऊदी अरब सरकार इस पर लगभग करीबन 500 अरब डॉलर यानी 40 लाख करोड़ रुपए खर्च कर रही है।

2030 तक इस शहर को तैयार करने का टारगेट अरब सरकार ने रखा है। इसकी रचना कुछ इस तरह की गए है कि पूटा शहर श्रीक्षे की दो दीवारों के बीच होगा, बाकी चारों ओर प्रकृति ही रहेगी साथ ही कहा गया है कि शहर में न काटें होंगी और न सड़कें, सब कुछ रिन्यूएबल एनर्जी पर चलता रहेगा और शहर के एक एरिया से दूसरे एरिया तक जाने में सिर्फ 20 मिनट लगेंगे।

सालभर एक जैसा मौसम रहेगा। सूरज की रोशनी कितनी होगी, इसे कंट्रोल किया जायेंगे। दावा है की The Line सिटी में कुल 90 लाख लोग बसर कर सकेंगे।

सैंड बैटरी!

बीते साल जुलाई 2022 में फिनलैंड सरकार और साथ ही यह के इंजीनियर ने पूरी तरह से काम करने वाली पहली सेंड बैटरी की शुरू की है इस में दावा किया गया है कि यह एक बार में कई महीनों के लिए स्वच्छ ऊर्जा का स्टोर कर सकती है जो की रेत की बैटरी से घर रहेंगे गर्म और साथ ही ऑफिस और स्विमिंग पूल भी। इसका इस्तेमाल और एक्सपेरिमेंट फिनलैंड के कैनकंपा शहर में 100 घरों और एक स्विमिंग पूल को गर्म करने में किया गया है। इस एक सैंड बैटरी को बनाने में लगभग 2 लाख डॉलर यानी 1.65 करोड़ रुपए का खर्च होता है। इसका इस्तेमाल यूरोप के और अमेरिका के करीब 20 ठंडे देशों में घरों को गर्म करने के लिए किया जायेगा। यदि अगर इसकी डिमांड ज्यादा होती है तो बैटरी रात भर में दोबारा चार्ज की जा सकती है।

स्वच्छ ऊर्जा के जरिए पहले इस सैंड बैटी की रेत को गर्म किया जायेगा और 100 टन रेत को 7 मीटर लंबे और 23 फीट ऊंचे कंटेनर में रखा जायेगा इसकी बैटरी में 600 डिग्री सेल्सियस तक हीट स्टोर की जा सकती है फिर बैटी से गर्म पानी को पाइपलाइन्स के जरिए घरों में सप्लाई किया जायेगा। कुछ इस तरह काम करेंगी ये सेंड बैटटी कि सोलर पैनल्स और विंड टरबाइन से बिजली बनती है और ऐसे बनी बिजली को डायरेक्ट यूज किया जाता है फिर साइंकटीस ने इसका प्रयोग बची हुई बिजली को हीट के रूप में सैंड बैटरी में स्टोर करने के लिए किया, गर्म पानी से घरों को सालभर गर्म रखा जायेगा।

नासा आर्टेमिस मिशन!

अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने बीते 16 नवंबर 2022 को आर्टेमिस जैसी एक मिशन को लॉन्च किया था और इस आर्टेमिस-1 ने चंद्रमा का चक्कर लगाया, छोटे सैटेलाइट्स छोड़े और चांद के फोटोज उपलब्ध कराए थे इसके बाद यह स्पेसक्राफ्ट 1 दिसंबर को धरती पर आया था। इस पर अभी तक 93 अरब डॉलर यानी 7.7 लाख करोड़ रुपए का हुआ खर्च, वही कहा जाएं तो 50 साल बाद चांद पर वापसी, दुर्लभ पदार्थ खोज लाने की तैयारी इस आर्टेमिस मिशन के द्वारा की जा रही है। इसको 2030 तक पूरा करने की तैयारी है। वही आने वाले साल में कहा गया है कि 2024 के आसपास आर्टेमिस-2 लॉन्च किया जायेगा इसमें कुछ अंतरिक्ष यात्री जाएंगे, लेकिन चांद पर कदम नहीं रखेंगे।

NASA के कहने अनुसार कि इस आर्टेमिस मिशन का मकसद साइंटिफिक डिस्कवरी के साथ ही आर्थिक फायदा लेना भी है। चांदी, सोना, प्लेटिनम जैसे चंद्रमा पर बहुमूल्य धातु पदार्थ के साथ लीथियम ऑयन और यूरेनियम मिलने की संभावना है।

NASA ने कई कंपनियों को ऐसे टोवर बनाने के ठेके दिए हैं। इनमें अमेरिकी कंपनियां एस्ट्रोबोटिक और इनट्यूड़टिव मशीन्स को शामिल किया गया हैं। मिशन के कामयाब होने पर कुछ सालों में 100 अरब यूरो यानी 8.7 लाख करोड़ रुपए की Lunar Economy यानी चंद्रमा की अर्थव्यवस्था तैयार करी जायेंगी।

एक्टोलाइफ!

एक्टोलाइफ यह कोई नई रिसर्च नहीं है, बल्कि एक तरह से  कॉन्सेप्ट है जिसके जरिए इंसानी बच्चे तैयार करने के लिए आर्टिफिशियल कोख यानी ग्रोथ पॉड तैयार किया जा रहा है। जिससे मां की कोख के बजाय Pod में बच्चे पलेंगा, यमन के साइंस कम्युनिकेटर, फिल्म डायरेक्टर और प्रोड्यूसर हाथम अल घाडली इस पर काम कर रहें है। शुरुआत में 400 ग्रोथ पॉड लगाएं जायेंगे इसके लिए एथिकल गाइडलाइन्स का इंतजार किया जा रहा है। लेकिन इंसानी भ्रूण पर 14 दिन से ज्यादा रिसर्च की अनुमति नहीं दी गई है और अभी सरकारी की इजाजत मिलने पर 2033 तक इस पर पूरा काम होगा।

बेबी पॉड एक इस तरह की मशीन है कि बच्चेदानी के बिना बच्चा पैदा किया जा सकेगा, अगर किसी पुरुष को इनफर्टिलिटी की समस्या है और कोई महिला मां नहीं बन पा रही तो इस तकनीक के सहरे से मां_बाप बना जा सकेगा। सबसे पहले मशीन में पुरुष के स्पर्म और किसी महिला के एग का फर्टिलाइजेशन किया जायेगा, इसके बाद किसी गर्भ की तरह ये मशीन काम करना शुरू कर देगी।

Ecto कंपनी का कहना है कि कृत्रिम गर्भ सुविधा जापान, बुल्गारिया और दक्षिण कोरिया जैसे कम जनसंख्या वाले देशों में आबादी बड़ाई जा सकती है।

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