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महंगा है होम लोन: इन तरीकों को समझें कर अपनी फाइनेंशियल कंडीशन को रखे मेंटेंन

आरबीआई जब भी अपने रेपो रेट में इजाफा करता है तो लोन लेने वालों पर उसकी ब्याज दरों पर भी असर पड़ता है। इस तरह से इस टाइम रेपो रेट 0.35% आरबीआई ने बढ़ाए तो emi पे किया असर होता है कि ब्याज दरें बढ़ती है साथ ही आपकी फाइनेंशियल प्लानिंग बिगड़ने लगती है इन 4 तरह से जानिए जो बजट को बिगड़ने से बचा सकते हैं।

इस तरह बढ़ती है, EMI दर।

ब्याज के लोन दर में भी इजाफा होने पर ईएमआई में बढ़ोतरी हो जाती है। जानिए इस उदाहरण से कि अगर कभी आपने 7.55% की दर पर ब्याज लिया है और आपको अभी तो emi की दर 16173 अदा करनी है पर इसमें 0.35% की दर 7.90% की दर में इजाफा होने पर ये 16605 रु देनी होगी।

1.इस तरह करें रिफाइनेंस।

रिफाइनेंस एक ऐसा उपाय है जब आपने जिस रेट में लोन लिया है और मार्केट रेट जो है उसमें एक बड़ा अंतर दिखाई दे रहा हो, तो आप ऐसा कर सकते है, उदाहरण के लिए समझिए कि आपने लोन की दरें 7.90% थी और मार्केट रेट इस टाइम 7. 50% है तो रिफाइनेंस का ऑप्शन आपके लिए बेस्ट है। लेकिन यहां तब ही बेस्ट है जब आपकी लोन किस्त से ज्यादा लंबे समय के लिए बाकी हो, क्योंकि इसके कुछ चार्ज भी पे करने होते है। जैसे ट्रांसफर के खर्चे और प्रोसेसिंग फीस, MOD चार्जेस करना पढ़ता है।

2. EMI बढ़ाएं।

होता यह है कि अगर आपने होम लोन 30 लाख का 20 साल के लिए लिया है आने वाले समय में आपकी इनकम तो बढ़ेगी लेकिन आपकी ईएमआई एक तरह रहेंगी अगर आप इसका हो बढ़ा सकते हैं तो आप एमआई की किस्त को बड़वाले या कुछ प्रीपेमेंट करदे बीच में, जिससे आपको कोई किस्त पर ब्याज भी कम देना पड़े और यह भविष्य में जल्दी अदा होगा।

3. करिए प्री-पेमेंट।

कभी ऐसा होता है कि ईएमआई की ब्याज ज्यादा है और आप उसको ज्यादा बढ़ाना नहीं चाहते हैं तो साल में एक बार प्री पेमेंट भी कर सकते हैं। जियादतर कंपनियां तो यही चाहती है कि आप ईएमआई का प्री पेमेंट 1_2 किस्त का अदा कर दे।

उदाहरण से समझते हैं कि अगर आप ने 7. 55% की दर से लोन ले रखा है और उसको 20 साल के लिए 30 लाख रूपए होम लोन लिया था। अब अगर आप अपने प्रीपेमेंट लाख रुपये कुछ कर देते हैं। तो आप को जो emi कम हो जाएगी और उसके ऊपर लगने वाले ब्याज की दर भी कम अदा करनी पड़ेगी।

4. बढ़ाए लोन का टेन्‍योर।

अगर आप के लोन की EMI ज्यादा है जिसके चलते आप और कोई सेविंग या इनकम नहीं कर पा रहे हैं तो EMI का टेन्‍योर बड़वा सकते हैं लेकिन इसके बड़ने पर नुकसान ये है कि इंटरेस्ट ज्यादा देना होगा।

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