आज के समय में गूगल से कौन परिचित नहीं है? गूगल एक ऐसा साधन है कि जब आपके मन में कोई भी सवाल उठता है तो आप फौरन ही उसको गूगल पर सर्च कर के जवाब लेते हैं, क्योंकि गूगल 10 लाख से भी ज्यादा सर्च इंजन रखता है। गूगल अपनी कमाई सीधी एडवर्टाइजमेंट से करता है और इसी से वह लगभग वर्तमान में 232 कंपनियों का मालिक है। गूगल पर वर्तमान में यह आरोप लगाया गया है कि वहां अपने यूजर पर ये प्रेशर बना रहा है कि वह उसी का सर्च इंजन इस्तेमाल करें और इस तरह के विवाद को लेकर भारत, अमेरिका से लेकर यूरोपियन देशों ने गूगल को कानूनी शिकंजे में लेकर EU ने गूगल की ही एक कम्पनी अल्फाबेट पर एंट्री टस्ट के तहत गूगल पर 32 करोड का रुपए का जुर्माना लगाया।
गूगल पर आरोप।
गूगल पर यह आरोप है कि गूगल का सर्च इंजन अपने मनमाने तरीके से खोज के नतीजे निकालता है, और भारत में इससे पहले भी ऐप डेवलपर्स और ऑनलाइन सूचनाएं से प्लेस्टोर पर अपना मनमाना कमीशन वसूलने के नाम पर गूगल को जांच के घेरे में लिया जा चुका है।
यही सूचनाओं और विज्ञापन करने का लाभ काफी बड़ा हिस्सा गूगल ले रहा हैं। आयोग ने आरोप लगाया है कि गूगल एल्गोरिदम मनमाने तरीके से तय करता है कि कोई जानकारी खोजने पर कौन सी वेबसाइट ऊपर दिखेगी और कौन सी नहीं।
जब की भारतीय न्यूज प्रकाशक अच्छे कंटेंट के लिए बड़ा निवेश करते हैं, लेकिन इसे दिखाने के एवज में मिलने वाली विज्ञापन राशि का काफी बड़ा हिस्सा गूगल रख लेता हैं।
गूगल का एकाधिकार।
गूगल का जो अपने क्षेत्र में एकाधिकार है इसकी वजह से वह भारत में अयोग्य लाभ कमा रहा है। जब डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन (DNPA) बताया कि गूगल प्रथमदृष्ट्या प्रतिस्पर्धा कानून के कुछ प्रावधानों का उल्लंघन कर रहा है तो इसकी शिकायत के बाद CCI यानी भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने इस मामले को लेकर जांच के आदेश दिये। इस आयोग ने कहा कि गूगल एकाधिकार का दुरुपयोग करके डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स पर गलत शर्तें रख रहा है।
गूगल को होता है यहां से लाखों का प्रॉफिट!
गूगल पूरी तरीके से फ्री है, जो कुछ भी आप गूगल पर सर्च करते हो। उसका आपको कोई चार्ज नहीं देना पड़ता है तो सवाल यह होता है कि गूगल अपनी कमाई फिर कहां से करता है। असल में कंपनियों से और एडवर्टाइजमेंट से पूरा गूगल को फायदा होता है। कंपनी यूजर्य के बारे में जानकारियां गूगल से खरीद कर उसे अपने एडवर्टाइजमेंट के लिए लाख पैसे देती है और यहां क्लिक पर गूगल सैकड़ों रुपए चार्ज करता है।
कंपनियां नहीं करती गूगल के होम पेज पर ऐड।
गूगल का हमेशा से होमपेज साफ सुथरा नज़र आया है, शुरुआती दौर में इसका डिजाइन ना मिलने के कारण इसे सादर छोड़ा गया था लेकिन इसके यूजर्य को इतना पसंद आया कि आज तक गूगल ने इस के होम पेज पर कोई एडवोट्जमट देने के लिए राजी नहीं हुआ जबकि बहुत सी कंपनियां हैं जो गूगल के होम पेज पर ऐड करने के लिए बेताब रहती है, परंतु इसके लिए गूगल ने कभी सहमति नहीं दी।
गूगल से पहले कई सर्च इंजन रहे, जिसको लोगों ने जमकर इस्तेमाल किया, लेकिन गूगल के आगे कोई नहीं टिक पाया ।
वेब क्रॉलर- 1994 में आए इस सर्च इंजन को 1995 में अमरीका ने ख़रीद लिया था, जो कि अब एओएल के नाम से जाना जाता है। इसके बाद काफ़ी कम समय में वेब क्रॉलर लोकप्रिय हो गया, लेकिन बाद में गूगल के आने से इसका इस्तेमाल कम हो गया।
लीकोस- जब 1995 में अमरीकी विश्वविद्यालय लीकोस रिसर्च प्रोजेक्ट लाए, फिर इसके बाद उसे टेरा कंपनी ने ख़रीदा साल 1999 में ये सबसे ज़्यादा विज़िट किए जाने वाली वेबसाइट बनी थी। लेकिन टेरा के साथ मर्जर विफल रहा और धीरे - धीरे कंपनी मार्केट से गायब हो गई।
अल्टाविस्टा - जब 1995 में इस सर्च इंजन का जन्म हुआ, तो बाद इसके गूगल के आ जाने से सबसे ज़्यादा नुकसान इसको हुआ ये सर्च इंजन बाक़ियों से अलग था, पर गूगल इससे अच्छा प्रोडक्ट मार्केट में ले आया।
एक्साइट- 1995 में लॉन्च हुआ 90 के दशक में ये अमरीका का सबसे पसंदीदा ब्रॉन्ड्स में से रहा, लेकिन गूगल के आने के बाद इसका काफी नुकसान शुरू हो गया। संस्थापक अपनी जेबें भरने लगे और क्वालिटी में सुधार नहीं हो पाया, और यह भी याहू गूगल से मात खा गया।
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