Image description

जीवनदायिनी गंगा और गंगा स्नान का महत्व

*गंगा नदी का उदगम स्थल-

*गंगा नदी उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले से निकलती हैं।गंगा भारत की प्रमुख नदी है जिसका अपना विशेष आर्थिक और धार्मिक महत्व है। गंगा उत्तर प्रदेश के हिमालय क्षेत्र में से गंगोत्री हिमानी से निकलती है। इसके पश्चिम में यमुना नदी है जो जमुनोत्री हिमानी से निकलती है और इलाहाबाद में आकर गंगा में मिल जाती है इस मिलन को संगम कहते हैं।

गंगा यमुना के संगम स्थल का भारत में बड़ा धार्मिक महत्व है। धार्मिक दृष्टि से सभी हिंदुओं का इसमें स्नान करना एक पवित्र धार्मिक कृत्य मानते हैं।

यमुना में दक्षिण की ओर से बहकर आने वाली इसकी सहायक नदी चंबल सिंधु बेताब तथा केन मिलती है यह नदियां मालवा के पठार से निकलती है दक्षिणी पठार से आकर सीधे गंगा में मिलने वाली नदी एकमात्र सोन है आगे बढ़कर गंगा में दामोदर नदी मिलती है।

यह छोटा नागपुर के पठार से बहकर आती है। इलाहाबाद के बाद गंगा पूर्व की ओर बढ़ती है तथा उसमें उसकी सहायक नदियां, गोमती, घाघरा गंडक और कोसी मिलती है। यह नदियां हिमालय की ओर से निकलती है। इस प्रकार गंगा नदी तंत्र, हरियाणा, दक्षिण पूर्वी राजस्थान, उत्तरी मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश बिहार राज्यों के जल का अपवाह करती हैं।

सिंधु और गंगा नदी तंत्र के मध्य में स्थित जल विभाजन पर अम्बाला नगर है। उत्तर पश्चिम में अम्बाला से लेकर पूर्व में गंगा के डेल्टा (सुंदरवन) तक इस मैदान की लंबाई लगभग 1800 किलोमीटर है तथा हरियाणा से लेकर बांग्लादेश तक इसके में कुल विस्तार में लगभग 300 मीटर का ढाल है। गंगा नदी के डेल्टा को सुंदरवन कहा जाता है क्योंकि इसमें सुंदरी नाम का वृक्ष बहुत उगता है।

इस मैदान में नदियों के टेढ़े मेढ़े विसर्प हैं जिनसे यह स्पष्ट होता है कि यहां मैदान कितना समतल है। गंगा नदी की कुल लंबाई 2017 किलोमीटर है।

*गंगा नदी का महत्व-

*गंगा नदी भारत के लिए एक वरदान के रूप में है जिसका अपना ही महत्व है।इसलिए इसको एक ही पहलू से नहीं देखा जा सकता है विश्व में नदियों का घटित होना मनुष्य और जीव जंतु सभी के लिए एक वरदान है, परंतु गंगा नदी भारत में जो महत्व रखती है, वह सर्वश्रेष्ठ है। इसके महत्व को निम्न प्रकार से विभाजित करके समझा जा सकता है।

 *आर्थिक महत्त्व-

*गंगा नदी का अपना आर्थिक महत्व है। यहां जब हिमालय से निकलकर मैदानों में प्रवेश करती है तब यह कृषि के लिए बहुत सहायक नदी बनती है और यहां कृषि के लिए पानी उपलब्ध कराती है और एक जलवायु और मिट्टी में एक नमी पैदा करती है जो फसलों के लिए लाभदायक होती है।फसलों में अच्छी पैदावार का होना यह एक आर्थिक लाभ है। और यहां एक राज्य के लिए नहीं बल्कि के सभी जिलों और पांच राज्यों के लिए एक वरदान के रूप में घटित है।

यहां गंगा नदी का पानी मानव के लिए सिर्फ एक पेज जले नहीं बल्कि इसके ऊपर राज्य बांध बनाकर और राज्य के बीच संधि करके आर्थिक लाभ प्राप्त करते हैं

यहां गंगा नदी का अपना औद्योगिक भी महत्व है। औद्योगिक क्षेत्र में भी अपना योगदान देती हैं। जैसे कि एक सामान्य बात यह जानते है कि पानी के बिना मानव जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती है तथा इसलिए औद्योगिक क्षेत्र में भी यह महत्व रखती है,कारखानों की स्थापना करना मैन्युफैक्चरिंग डेवलपमेंट इत्यादि। यहां सारे काम जो आर्थिक रूप से मनुष्य को बढ़ने में उनका विकास करने में सहायक है। यह भी नदियों की सहायता और प्रकृति की देन से ही संभव है।

*धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व-

* मानो तो माँ गंगा मानवता का कल है, ना मानो तो सिर्फ एक जल है। 

* हिंदू धर्म में लोगों का यह मानना है कि यदि आप गंगा में स्नान करते समय आप की मृत्यु हो जाती है तो आप को स्वर्ग में जगह मिलेगी। हालांकि गंगा नदी का महत्व सभी के लिए है परंतु हिंदू धर्म उसकी पूजा करते हैं और यहां उनके लिए वरदान से कम नही है। यह गंगा को एक नदी नहीं बल्कि गंगा माँ मानते है

वैसे तो गंगा नदी को लेकर हिंदू धर्म और इसे जुड़े अन्य धर्मों में भी में बहुत सी विचार धाराएं और का कृत्य मौजूद है सनातन धर्म में भी गंगा नदी को स्वर्ण से संबंधित बताया गया है और इसकी पवित्रता को मानते हुए।गंगावतरण अथवा गंगा दशहरा बहुत ही श्रद्धा के साथ मनाया जाता है और यही गंगा स्नान और उपासना से किया जाता है

हिंदू धर्म या गंगा में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं का यह मानना है कि शास्त्रों में कहा गया है कि जो गंगा नदी से कोसों दूर होकर भी गंगा गंगा ऐसा बोलते हैं, वहां समस्त पापों से मुक्त होते हैं और यह विष्णुधाम के अधिकारी होते है।

 *सामाजिक महत्व-

 *लाखों श्रद्धालु इसमें एक साथ स्नान करते हैं और यहां एक मेलाभ का स्थल माना जाता है। परंतु इसका एक साथ भीड़ का उभरना एक सामाजिक तौर पर भी अपना एक पवित्र स्थान रखती है तथा अन्य उत्तरांचल से निकलकर या बंगाल की खाड़ी में जब प्रवेश करती है तो यहां एक तरह से राज्यों को और जिलों को भी जोड़ने का कार्य करती है।

गंगा नदी 108 नामों से जानी जाती है। परंतु जब यह 5 राज्यों से होकर गुजरती है तो हर राज्य और जिले में इसके 11 अलग-अलग नामों से जाना जाता है।

 *भौगोलिक महत्व-

*गंगा नदी जब उत्तरांचल से गंगोत्री निकलती है तब उत्तरी भारत की सबसे लंबी नदी ही के रूप में जानी जाती है तथा यह इतनी लंबी नदी है इसकी लंबाई 2,510 किलोमीटर है यह उत्तर से जैसे मध्य भारत में प्रवेश करती है। एक यह नदी सिर्फ एक नदी का नहीं बल्कि एक जुड़ाव का काम करती है।यह पांच राज्यों से होकर गुजरती है तो यह राज्य इस नदी पर बांध बनाने के लिए संधि और समझौता करते हैं।

यह गंगा नदी मानव को भौगोलिक लाभ प्राप्त करवाती हैं यहां मौसम में नरमी ही और सुंदरता उत्पन्न करती है। जब यहां उत्तराखंड से निकलती है तो यहां एक खूबसूरत क्षेत्र के रूप में उसका सौंदर्य को बढ़ाती है और मानचित्र में इसे देखने पर यह एक सुंदरता का प्रतीक है।

 *वैज्ञानिक महत्व

*गंगा नदी का अपना ही वैज्ञानिक महत्व है। यह कहा जाता है कि गंगा में जितना भी अशुद्ध पदार्थ डाले जाए। यह मनुष्य अपना शवं जलाकर उसकी राख डाले, हरिद्वार के तट पर तो कुंड में डाले गए गंदे और अशिष्ट पदार्थों को निकालने का कोई प्रबंध नही है और इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है गंगा फिर भी साफ और स्वच्छ जल माना जाता है

और यदि अगर इसकी डॉक्टरी परीक्षा की जाए तब पर भी यह जल शुद्ध और स्वच्छ ही साबित होता है तथा यह वैज्ञानिकों के द्वारा परीक्षण किया गया है कि गंगाजल को यदि आप सालों साल एक बोतल में रख ले तब पर भी वहां खराब नहीं होता है।यह एक आश्चर्यजनक परिणाम के रूप में माना जाता है।

*गंगा नदी का मार्ग -

*गंगोत्री हिमालय से जब निकलती है तो यह ग्लेशियस का पानी ही बनकर गंगा नदी में मिल जाता है और इस तरह से आगे बढ़ती हुई जब यह नदी आगे बढ़ती है तो एक स्थान आता है जिसे कहते हैं गोमुख से आगे बढ़ते हुए चिड़ावा स्थान आता है यह भागीरथी नदी से मिलकर आगे तक जाती है और उसको वहां पर भागीरथी के नाम से जाना जाता है। फिर यह हरिद्वार तक जाती है तथा 

*जब यहां भागीरथी नदी हरिद्वार को पार करके आगे बढ़ जाती है तब इसका गंगा नदी नाम हो जाता है। वह स्थान पर यह गंगा नदी के नाम से प्रसिद्ध हो जाती है।

उत्तराखंड के मार्ग से होते हुए या नदी जब आगे बढ़ती है तब इसमें कई और नदियों का भी संगम होता है। जैसे यमुना नदी यहां जब कानपुर को पार करके प्रयागराज में मिलती है तो इसमें यमुना और गंगा का दोनों का संगम होता है और यह सगम भारत में बहुत प्रसिद्ध है।इस तरह यहां नदी भारत के उत्तरी मध्यवर्ती मैदानी इलाके के मार्ग का निर्धारित करती हैं।

यहां नदी वाराणसी के तट के मार्ग पहुंचकर आगे बढ़ते हुए बलिया से,इस तरह यहां नदी भारत के उत्तर पश्चिमी मैदान को विकसित करती हुई और इस से थोड़ी दूर की दूरी तय करने के बाद यह एक नदी और आती है। इसका नाम है कोशिवर नदी में भी गंगा नदी मे मिल जाती है और अपनी लंबी दूरी को तय करती है।

गंगा नदी के इस मैदानी भाग को तीन भागों में विभाजित किया जाता है जो गंगा का उत्तरी मैदान, गंगा का मध्यवर्ती मैदान, गंगा का निचला मैदान गंगा नदी का मैदानी भाग अधिक घना बसा हुआ है। इसका प्रमुख कारण इस मैदान की उपजाऊ भूमि, स्वास्थ्यवर्धक जलवायु, विकसित यातायात और संचार व्यवस्था और उद्योग धंधों की परिपूर्ण होती है। इस भाग में मानव के जीवन यापन की सभी सुविधाएं सर्वत्र उपलब्ध है।

कन्नौज नदी के पास गंगा नदी पहुंचती है। तब से कन्नौर नदियों गंगा नदी मिल जाती है इससे गंगा नदी का जल का स्तर भी ज्यादा हो जाता है।जब प्रयागराज में गंगा यमुना का संगम हो जाता है तब इसका जल का प्रवाह इतना हो जाता है कि उत्तर प्रदेश में और पश्चिम बंगाल की बात करें तो मालदा के बीच हो जाने पर यह गंगा नदी अत्यधिक प्रभावित नदी बन जाती है।

जब गंगा नदी होंगली नदी मे मिलती है तो वह पश्चिम बंगाल के कुछ मील पहले ही यहां दो भागों में विभाजित हो जाती हैं। एक में गंगा नदी, दायिनी ओर और हुगली नदी बाई ओर प्रभावित होती है। इसका विभाजन दो तरह से हो जाता है।

गंगा नदी का मार्ग मुख्य रूप से भारत और बांग्लादेश की तट रेखा से हैं जुड़ा हुआ है।

*गंगा नदी के किनारे बसे प्रमुख शहर-

*गंगा नदी के किनारे बसे शहरों में वाराणसी, इलाहाबाद और कानपुर के साथ ही दिल्ली, कोलकाता, बनारस, आगरा, पटना इत्यादि प्रमुख शहर भी शामिल है।

यहां बात तो सत्य और सही है कि गंगा नदी लंबी नदियों में शामिल है, परंतु हयहां पर भारत के 5 बड़े राज्यों से होकर गुजरती है और इसका अपना ही महत्व है। परंतु जिस तरह यहां झारखंड, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश से उत्तरांचल को विकसित करती है। उसी तरह यहां नदी पर बसे शहरों में सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश के शहर शामिल है जिसमें यह नदी अपना महत्वपूर्ण प्रभाव रखती है और इसका विकास मे योगदान करती है।

उत्तराखंड की बात करें तो इसमें प्रमुख नगर शामिल है- टिहरी, देवप्रयाग श्रषिकेश, हरिद्धार।

पश्चिम बंगाल - फरक्का नगर गंगा नदी के तट पर बसा है और इस तरह बिहार राज्य में पटना, मुगेंर, भागलपुर नगर शामिल है।

परंतु उत्तर प्रदेश में गंगा नदी का प्रवाह प्राकृतिक की देन और वरदान है क्योंकि उत्तर प्रदेश के शहरो में गंगा नदी का सबसे अधिक प्रभाव और प्रवाह है क्योंकि क्योंकि उत्तर प्रदेश के अधिकाश शहर गंगा नदी के किनारे बसे हैं जैसे कि विजनौर, कनौज कानपुर, इलाहाबाद, मिर्जापुर बनारस, गाजीपुर, बलिया इत्यादि है।

गंगा नदी जब उत्तराखंड के गंगोत्री से निकलती है यहां नदी मुख्य पांच राज्यों से होकर गुजरती है और बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल यहां नदी में जैसे पांच राज्यों को जोड़ती है इसी तरह से जब यहां हिमालय से निकलती है परंतु मैदानी इलाके में आकर एवं भारत के तटीय स्थल पर आकर यह कई तरीके के नाम से प्रसिद्ध होती है 

उत्तराखंड से जब गंगा नदी का निकलती है तो यह हरिद्वार मे प्रवेश करती है और हरिद्वार गंगा नदी के तट पर एक धार्मिक शहर है और इसी तरह उत्तर प्रदेश में प्रयागराज भी गंगा, युमना ,सरस्वती के संगम का एक धार्मिक शहर है!

*बंगाल की खाड़ी में गंगा का प्रवाह-

*बंगाल की खाड़ी त्रिभुजाकार की खाड़ी है और यह विश्व की सबसे बड़ी खाड़ी के रूप में जानी जाती है। इसके पूर्व में बर्मा यानी म्यामार और उत्तरी ही स्थिति में बांग्लादेश तथा अंडमान निकोबार दीप समूह से यहां गिरा हुआ है।गंगा नदी को विश्व की लंबी नदियों में शामिल किया जाता है। यहां हिमाचल प्रदेश से जब बंगाल की खाड़ी में प्रवेश करती है तो उत्तर भारत और बांग्लादेश को मिलाकर इसका लम्बाई 2525 किलोमीटर की दूरी को तय करती है।यह बंगला देश में,पूरे विश्व में सबसे बड़े सुंदरवन डेल्टा का निर्माण करती है।यहां सुंदरवन डेल्टा चावल की खेती करने के लिए और जूट उत्पादन के लिए भी बहुत सहायक है।

इस डेल्टा का निर्माण केवल गंगा ही नदी ही नहीं बल्कि अन्य नदियां जैसे हैं ब्रह्मपुत्र और हावड़ा, जमुना नदी मेघना नदी इत्यादि बंगाल की खाड़ी में गिरके 350 किलोमीटर चौड़े सुंदरबन डेल्टा का निर्माण करती है। यह डेल्टा गंगा और उसकी सहायक नदियों द्वारा बनाए गए 1000 वर्षों से समतल और निम्न मैदानों का निर्माण करती है यहां हिंदुं को तीर्थ हैं जो गंगा और बंगाल की खाड़ी में प्रसिद्ध है।

बंगाल की खाड़ी का क्षेत्रफल विस्तार 2,172,000 है इसमें सबसे बड़ी नदी के रूप में गंगा नदी है जो उत्तर भारत से होकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है और उसकी सहायक नदियां होंगेली,ब्रह्मपुत्र जमुना पद्मा आदि नदियां शामिल है।मध्य भारत और दक्षिण की ओर से कावेरी,गोदावरी,इरावती महानदी ,कृष्णा, नदी आदि भी इस खाड़ी में संगम करती हैं।

अब अगर पश्चिम बंगाल की बात करी जाए तो उत्तर से निकलने वाली ही यह लंबी है। यह लंबी गंगा नदी जब पश्चिम बंगाल की तरफ आती है तो यहां अधिक नदियों की सहायता से इतना लंबा सफर तय करती हुई पश्चिम बंगाल में प्रवेश करती है और यहां उसके अन्य नदियो के संगम होने से पश्चिम बंगाल में बाढ़ वहां सुनामी जैसे घटक घटित होते हैं और इसी को 'बंगाल का शोक' भी कहा जाता है।

*गंगा नदी और पद्मा नदी-

*फरक्का से 17 किलोमीटर आगे चलकर धुलिया आता है और धुलिया से से करीबन 6 किलोमीटर आगे चढ़कर बाई ओर मुडो तो एक सुंदर सा गांव आता है जिसका नाम जगताई है और जिला मुर्शिदाबाद है इस गांव के ठीक सामने से गंगा नदी का प्रवाह होता है और वही से ठीक बांग्लादेश आरंभ हो जाता है।

पद्मा एक नदी है जो बांग्लादेश में बहती है तथा गंगा नदी की मुख्यधारा है,जब गंगा नदी उत्तर भारत से होकर मैदानों से बहती हुई और पश्चिम बंगाल में प्रवेश करती है। तब यह पद्मा के नाम से ही जानी जाती है। और यह राजमहल से होती हुई 30 किलोमीटर की दूरी पार कर के गंगा नदी की एक शाखा निकलकर मुर्शिदाबाद कोलकाता पश्चिम बंगाल होती हुई बंगाल की खाड़ी में जाकर गिरती है। पद्मा नदी की कुल लंबाई की 225 मील की है।

गंगा नदी जब उत्तर भारत से निकलती है तब वह नाम भागीरथी नाम से जानी जाती है और यह जब मध्य से होती हुई दक्षिण की ओर आती है और यह बंगाल में प्रवेश करती है तो इसको पद्मा नाम से ही जाना जाता है।तथा पद्म शब्द संस्कृत में प्रयोग होने वाले प्रतीक का है इसका अर्थ होता है कमल का फूल,यदि हिंदू धर्म की बात की जाए तो पौराणिक कथाओं में देवी के लिए यह एक लक्ष्मी का शब्द का प्रतीक है।

बंगाल में प्रवेश करके पद्मा नदी की औसत गति मौसम के दौरान कुछ इस तरह की होती है।

औसतवार्षिक औसतः 35,000मी ३ /सेक (1,200,000घन फीट/सेकंड) 750,000 मी 3 /सेक (26,000,000घन फीट/सेकंड) और शुष्क मौसम के दौरान:15,000 मी 3 /सेकेंड की होती है 

पद्मा नदी बंगाल में एक खूबसूरत सौंदर्य है भगोलिक स्थिति का निर्धारण करती है, हालांकि बंगाल में पद्मा नदी के कटाव कारण सन् 1966 में,660 वर्ग किलोमीटर की भूमि को नष्ट हो गई है।

*गंगा नदी को साफ करने की सरकार की योजनाएं-

* गंगा सिर्फ नदी नहीं है देश की शान,इसे गंदा करके ना करो अपमान!

* गंगा नदी की सफाई को लेकर सर्वप्रथम केंद्र सरकार ने 14 जनवरी 1986 में शुरुआत की थी।

* यहां नामिम में गंगा का कई योजनाओं के तहत 299 परियोजनाओं को क्रियान्वित करने का निर्णय लिया गया था जलमल की संरचना,नदी की सफाई जल, जैव उपचार,नदी सतह की सफाई ,घाट की सफाई और नदी तट का विकास करना

* परियोजनाओं में इन सब का तत्वों को शामिल किया गया था परंतु अभी तक लगभग 42 योजनाओं को ही ने पूरा किया गया है।

 *नमामि गंगे योजना-

**यह अभियान 14 अप्रैल से 24 अप्रैल 2016 के बीच आयोजित किया गया था।

**स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन पर नमामि गंगा कार्यक्रम प्रदूषण और संरक्षण के प्रभावी उपशमन के दोहरे उद्देश्यों को पूरा करने के लिए एक कार्यक्रम है और राष्ट्रीय नदियों गंगा का कायाकल्प करना था।

*सीवेज शोधन क्षमता सृजित करने वाले नमानी गंगा कार्यक्रमों के मुख्य स्तंभ है।

***इसका उद्देश्य घाटों और श्मशान घाटों के निर्माण, आधुनिकीकरण और नवीनीकरण के लिए परियोजना द्वारा नदी के किनारे विकास का निर्माण करने का रहा है।

*वनीकरण की सतह से तैरते ठोस कचरे के संग्रह के लिए नदी की सतह की सफाई करना जिस में मुख्य रूप से जैव विविधता संरक्षण कई जैव विविधता संरक्षण परियोजनाएं हैं जैसे जैव विविधता संरक्षण और गंगा कायाकल्प मछली और गंगा नदी में मत्स्य संरक्षण गंगा नदी डॉल्फिन संरक्षण शिक्षा कार्यक्रम शुरू किए गए हैं।

***औद्योगिक बहिःस्राव निगरानी और नियमन और नियमित और निर्धारित पर्यावरणीय मानदंडों के अनुपालन सत्यापन के लिए अत्यधिक प्रदूषणकारी उद्योगों का औचक निरीक्षण किया जाता है।

*गंगा ग्राम पेयजल एवं स्वच्छता कार्य मंत्रालय पांच गंगा बेसिन राज्य की 1974 की ग्राम पंचायत में शौचालयों के निर्माण का कार्य करेगा।

***केंद्र सरकार राज्यों और पंचायतों के सहयोग से ग्राम उदय से उदय भारत अभियान (गांव स्वशासन अभियान) आयोजित करेगी।

*अभियान का उद्देश्य गांवों में सामाजिक सद्भाव बढ़ाने के लिए राष्ट्रव्यापी प्रयास करना, पंचायत राज को मजबूत करना ग्रामीण विकास को बढ़ावा देना और किसानों की प्रगति को बढ़ावा देना है

**'ग्राम उदय से भारत उदय की ओर'!

**और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए सरकार की विभिन्न योजनाओं के बारे में जानकारी प्रदान की जाएगी।

3 Views