अब खरीदिये इंडियन साइज में अपने नाप के कपड़े!
हमारे देश में छोटे-छोटे बदलाव आ रहे हैं, लेकिन यह आगे चलकर एक स्वतंत्र भारत का और एक आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करेंगे। आइए जानते हैं आज के इस ने इंडियन साइज अभियान के बारे में।
*क्या है UK और US साइज-
पूरी दुनिया की बात करें तो वह पूरी दुनिया में केवल 18 देश ऐसे हैं जिनका अलग से जूतों और कपड़ों के लिए साइज का पूरा चार्ट बना हुआ है।भारत इन 18 देशों में अभी तक शामिल नहीं है और भारतीय उद्योग की सबसे बड़ी कमी यही है कि इसकी साइज की समस्या का लोग सामना करते है।
जब कभी भी हम कहीं भी कपड़े लेने जाते हैं तो वहां यूएस साइज के होते हैं या यू.के के साइज के होते है जैसे मीडियम, एक्सल, और स्मॉल वहां शॉप पर विक्रेता बताता है कि यहां तो यूपी का साइज़ है या यूएस का साइज है।और दोनों ही यूके और यूएस के साइज में स्माल की अलग परिभाषा होती है। लॉज की अलग परिभाषा होती और एक्सेल की अधिक परिभाषा होती है।
*क्या समस्या है UK और US साइज में-
भारतीयों को शॉपिंग करते समय चाहे वहां ऑनलाइन करें या मार्केट में जाकर या कभी-कभी वह खुद मार्केट ना जाकर किसी और से कपड़ा मंगवाते हैं तो उनको साइज लेने में बहुत दिक्कत पड़ती है उनको कपड़े और जूते खरीदने में जो मुख्य समस्या आती है वह है साइज ।
और ऑनलाइन शॉपिंग में ही यह समस्या और भी बढ़ जाती है क्योंकि एक ब्रांड का मीडियम साइज दूसरे ब्रांड का स्मॉल साइज होता है और यही तीसरे ब्रांड का लार्ज साइज बन जाता है।कई कई बार ऐसा भी होता है कि यह साइज लोगों को फिट आती ही नहीं है और हमें लास्ट में समझौता करना पड़ता है।
बहुत से लोगों ने यहां सोचा भी नहीं होगा कि यह वाकई में एक समस्या के रूप में है।
*3D स्कैनर मशीन की सहायता ली गयी-
छ:अलग-अलग राज्य के लोगों का साइज लेकर यह देखा जाएगा कि किस तरह से यह भारत के लोगों के लिए एक साइज चार्ट प्रणाली बनाई जाए दिल्ली चेन्नई, हैदराबाद, शिलांग और कोलकाता में यह सर्वे किया जाएगा।
यहां अलग अलग राज्य इस लिये चुने गए क्योंकि भारत के अंदर अलग-अलग साइज के मोटे पतले और लंबे कद के लोग निवास करते हैं और इसी को देखते हुए हैं। 120 तरह के अलग अलग तरह के पैमाने बनाये गये है तथा उसमे 3D स्कैनर का इस्तेमाल किया जा रहा है।
इसकी शुरुआत कर दी गई है और 3D स्कैनर में लोगों को खड़ा करके,बिठाकर कर यह देखा जा रहा है कि भारतीय लोगों के कपड़े का पैमाना किस प्रकार का है 120 अलग-अलग पैमानों से है यहां के लोगों का नाप लिया जा रहा है इसमें बाजू, कंधा ,पैर और सिर का नाप लिया जा रहा है।
यह 3D इस बात का विशेष ध्यान रखता है कि जो भी व्यक्ति का साइज लिया जा रहा है उसकी कोई प्राइवेसी डिस्टर्ब ना हो यह 3D स्कैनर एसे काम करता है कि मानव कोई प्राइवेसी भी डिस्टर्ब ना हो और उसका आंख, मुंह और आदि अगं किसी भी प्रकार से कंप्यूटर स्क्रीन पर शो नहीं होते हैं। केवल उसका का लंबाई चौड़ाई, मोटाई पतलाई और ये प्रकार कंप्यूटर पर दिखाई देते हैं यह केवल शरीर केaà1 साइज को ही लेता है।
*कई साल से चल रही थी उसको बनाने की प्रक्रिया
भारत में कपड़े साइज का बाजार इंडियन साइज के हिसाब से बनने जा रहा है। यहां अपने आप में बहुत बड़ा क्रांतिकारी बदलाव है क्योंकि भारत कपड़ा उद्योग के सेक्टर में नौकरी देने वाला दुनिया का एक बड़ा देश है।इसमें सालाना व्यापार से लाभ करीबन 14 लाख करोड़ का होता है।
इसमें घरेलू खपत करीबन 1000 करोड़ की होती है तथा जबकि दूसरी तरफ 400 करोड़ का निर्यात किया जाता है इसी को देखते हुए यह भारत की सबसे बड़ी जरूरत थी कि क्योंकि हम लोग कपड़े तो भारत में बना रहे हैं कंपनियां भी भारत की हैं के्ता और विक्रेता भी भारत के होते हैं परंतु जब हम के साइज को देखें तो हमें यूके के हिसाब से या यूएस के हिसाब से चलना पड़ता था।
बहुत समय से भारतीयों के साइज को लेकर विचार प्रणाली बनाई जा रही थी भारतीयों के कपड़े और जूते को लेकर लेकर साइज एक पैमाना सेट करने की प्रक्रिया चल रही थी।साल 2019 में भारतीय कपड़ा मंत्रालय और नेशनल फैशन डिजाइन इंस्टीट्यूट एक सही साइज पैमाना बनाने की तलाशी शुरू की थी।
*क्या है लाभ इंडियन साइज लाने से-
भारतीय से साइज पैमाना तैयार करने के लिए भारतीयों का बॉडी स्ट्रक्चर एनालाइज करके यहां पैमाना, चार्ट तैयार किया जा रहा है और अनुमान है
कि अगले साल दिसंबर तक यहां तैयार हो जाएगा।
अभी तक भारतीय जो भी शॉपिंग करते थे कपड़ों का या जूतों का साइज लेते खरीदते थे, वह या तो अमेरिका के साइज के हिसाब से खरीदते थे।यह एक बड़ा कारण है कि भारतीय कपड़ा उद्योग को इससे काफी नुकसान होता था।क्योंकि फिटिंग का साइज ना होने पर काफी ही कपड़े रिजेक्ट और नकार दिया जाते है इससे 25 से 30% नुकसान कपड़ा उद्योग को उठाना पड़ता है।वह कपड़े लौटा दिए जाते थे, जिससे उनको मुनाफा होता है लेकिन भारतीयों को इसका कुछ ना कुछ नुकसान उठाना पड़ता।
यह देखा जाए तो 135 करोड़ की आबादी वाले भारत देश में प्रेमा एक एक तरह के साइज पैमाना लाना आसान तो नही है लेकिन फिर भी अगले वर्ष दिसंबर 2022 तक इंडियन साइज के कपड़े भारत मे उपलब्ध होगा और इसको भारतीय इस्तेमाल कर सकेंगे।
5 Comments
LEAVE A REPLY
Your email address will not be published