घरेलू हिंसा: महिलाओं की सहनशीलता या पतियों का अत्याचार
घरेलू हिंसा विवादों में आज भी महिलाएं हैं पीड़ित, कानून बने हो गए 150 साल, ससुराल में और पतियों की हिंसा सहती हैं महिलाएं, आज भी हर 3 महिलाओं में से एक महिला और घरेलू हिंसा की शिकार है।
जब 1860 में अपराधों को रोकने के लिए आईपीसी को बनाया गया तो उस टाइम महिलाओं के साथ होने वाले घरेलू हिंसा को रोकने के लिए कोई प्रावधान नहीं रखा गया था। ये बात 1983 की थी जब जब सैकड़ों महिलाएं उनके साथ होने वाले घरेलू हिंसा विवाद में सड़कों पर उतर आए थे और अपने घर में ही सुरक्षा की मांग करी थी। क्योंकि घरेलू हिंसा विवादों में बहुत सी औरतों ने चुपचाप सब कुछ सहन किया, तो कुछ जो न कर पाए, उन्होंने सुसाइड कर ली। लेकिन जब इनकी माय सड़कों पर उतरी तो संसद में भी इस बात की चिंता देखने को मिली। उस समय इंदिरा गांधी की सरकार थी जब भारतीय दंड संहिता में धारा 498 ए जोडा गया था।
इस तरह इंडियन पैनल कोर्ट में एक नयी धारा को जोड़कर या बताया गया कि औरत का अपने घर में पीटा जाना है यह घरेलू हिंसा है और यह अपराध की श्रेणी में आता है। इसके बाद पर भी महिलाओं के साथ होते हुए ऐसे अपराध गंभीर हैं कि यहां रुके नहीं और 2005 में एक अलग से एक्ट डोमेस्टिक वायलेंस 2005 बनाया गया। जिस में भी महिलाओं को उसके घर में होने वाली हिंसा को घरेलू हिंसा बताते हुए अपराध की श्रेणी में रखा गया।
क्या है घरेलू हिंसा।
वैसे तो ज्यादातर पति के द्वारा ससुराल में महिला को दिए गए कष्ट, मारना, पीटना, धमकाना आदि आत्याचारो से लिया जाता है। पर सच यह है कि पति के द्वारा पत्नी पर इस तरह के अत्याचार ही घरेलू हिंसा में नहीं बल्कि बल्कि ससुराल में रहने वाले अन्य सदस्य सास,देरानी,जेठानी, देवर और यहां तक कि बेटा अगर किसी स्त्री पर अत्याचार करता है तो वह घरेलू हिंसा यानी डोमेस्टिक वालेशनि विवाद में आएगा।
निम्न चार तरीकों से महिला के साथ होती है, घरेलू हिंसा।
फिजिकल वायलेशन- महिलाओं के साथ फिजिकल वायलेंस करने के केस लगातार सुनने को मिलते हैं जहा जोधपुर का एक मामला सामने आया जहां पर पति टीचर था और उसने अपनी पत्नी घर से घसीटते हुए बाहर लाया और काफी लोगो के सामने उसको मारा जहां उसके दोनों बच्चें एक लड़का और एक लड़की भी दूर खड़े देख रहे थे। इस तरह की घटनाएं बच्चों पर बहुत बुरा असर डालती हैं और इस तरह से महिलाएं अपने आप को अपमानित महसूस करती हैं।
सेक्सुअल वायलेशन- घरेलू हिंसा के मामले फिजिकल ही नहीं बल्कि सेक्सुअल एसेक्सुअल वायलेस के भी होते हैं। जहां पति लाखों रुपए सलाना कमाता है वही अपनी पत्नी को रात में मारता और जबरदस्ती करता, पत्नी के साथ सेक्सुअल इंटरकोर्स करने के लिए जबरदस्ती करते अगर पत्नी किसी भी कारणवश उसे मना कर दे तो वहां जबरदस्ती ही करता है और उसके ऊपर अत्याचार करता है। इस तरह के विवाद भी लगातार डोमेस्टिक वायलेशन विवादों में बढ़ते नजर आये हैं।
इमोशन या मेंटल वायलेशन- फिजिकल वायलेंस का होना ही सिर्फ घरेलू हिंसा में नहीं आता है बल्कि इमोशनली वायरस जहां एक महिला सरकारी नौकरी करती थी और उसने अपनी पसंद के लड़के से शादी करी थी शादी के बाद ही उसके के लिए ससुराल वालो का रवैया और उसके पति का रवैया उसके लिए बदल गया। इसके साथ ही उसे अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी जहां उसको इस तरह से बातें सुनाई जाती थी, कि वह घर का कोई भी काम करती है। उसमें 4 कमियां निकालना और वहां बीमार भी पड़ती तो उसको कहना कि यह सब बिमारी का नाटक है इस तरह से महिलाओ के साथ इमोशनल वायलेंस किया जाता रहा हैं।
फाइनेंशियल वायलेशन- इस तरह की घरेलू हिंसा से फाइनेंस स्थिति का अधिक कम होने का कोई लेना देना नहीं है बल्कि याद एक तरह से पत्नी के साथ हिंसा है कि वह अपने पत्नी और बच्चों पर जुल्म करते हैं। जहां एक पति की अच्छी कमाई 4 लाख सलाना कमाती है। वही अपनी पत्नी को पाई पाई के लिए तरसा देता है।
क्या है, ऐसे मामलों का परिणाम।
घरेलू हिंसा की शिकार हुई महिलाएं अपने आप को बहुत अकेला महसूस करती है। उनका सब कुछ छोड़ कर कहीं चले जाने का मन करता है। वह बहुत डरी सहमा रहती है। कई महिलाएं तो सुसाइड कर लेती है और बहुत सी महिलाओं ने ऐसा किया भी है।
इस तरह की हिंसा सहने वाली महिला है या तो को सुसाइड कर लेती है या फिर अपने पति को ही मारने का सोचती है और कई ऐसे मामले सामने आए भी हैं। वह हर टाइम तनाव में रहती है और उनका इस तरह का गुस्सा बच्चों पर निकलता है।
कई महिलाएं जब घरेलू हिंसा सहते सहते इन सब चीजों की आदी हो जाती है तो वह बाहर खुशी को तलाश लगती है जैसे ड्रिंक करना या फिर एक्स्ट्रामैरिटल अफेयर करना, इस तरह की बाते समाज में सामने आती है।
घरेलू हिंसा की दर वाले राज्य सबसे ज्यादा और सबसे कम।
सबसे अधिक- कर्नाटक 44.4, बिहार 40, तेलंगाना 38.1, असम 36.9 मणिपुर 39.6।
सबसे कम- गोवा 8.3, लक्षद्वीप 1.3, नगालैंड 6,4, हिमाचल 8.3, जम्मू - कश्मीर 9.6!
महिला के अधिकार वाला कानून।
डॉमेस्टिक वायलेंस एक्ट 2005,
इस अधिनियम के अंतर्गत चाहे फाइनेंस हो या फिर फिजिकल, मेंटल, इमोशनल इस तरह से महिलाओं को इस कानून में एक महिला शब्द का प्रयोग किया गया है इस कानून के अंतर्गत एक महिला शब्द का प्रयोग इसलिए किया गया है कि इसमें बेटी, बहन और पत्नी, मां आदि आती है, किसी के साथ भी वायलेस हो तो वहां मजिस्ट्रेट से सीधे शिकायत दर्ज करा सकती है। इसके साथ ही सेफ हाउस की सुविधाएं रखी गई है। हर जिले में महिलाओं के लिए ऑफिसर की नियुक्ति की गई है, जहां उनको प्रोटेक्शन प्रदान किया जा सके।
घरेलू हिंसा से पीड़ित महिला, राष्ट्रीय महिला आयोग में शिकायत दर्ज करा सकती है और न- 1090 , 100 पर भी शिकायत कर सकती है।
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